वरिष्ठ संपादक, सियाराम मिश्रा की ग्राउंड रिपोर्ट /भगवान श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप देश को समर्पित करने हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे। आज हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से, मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूं- पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, इनोवेट करिए, इनोवेटिव तरीके से करिए। तीसरा एक संकल्प जो आज हमें लेना है, वो है आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयास बढ़ाने का। ये आजादी का अमृतकाल है। हम आजादी के 75वें साल में हैं। जब भारत सौ साल की आजादी का समारोह बनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए हमें अभी से काम करना होगा।प्रधानमंत्री श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में बाबा का पूजन-अभिषेक के बाद मंदिर चौक में देश भर से आए संतों व विशिष्ट जनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने भाव साझा किए। कहा, हृदय गदगद है, मन आल्हादित है। आप सब लोगन के बहोत-बहोत बधाई हौ। विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का,उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है। अलौकिक ऊर्जा अंतरात्मा को आलोकित कर देती है। दिव्य चेतना में अलग ही स्पंदन है, अलग ही आभा है। शास्त्रों में सुना है जब भी कोई पुण्य अवसर होता है सारे तीर्थ, सारे देव-शक्तियां उपस्थित हो जाती हैैं। वैसा ही अनुभव बाबा के दरबार में आकर हो रहा है। लग रहा है जैसे हमारा समस्त चेतन ब्रह्मांड से जुड़ा हुआ है। वैसे अपनी माया का विस्तार बाबा ही जानें। हमारी मानवीय दृष्टि जहां तक जाती है, बाबा धाम के विस्तार से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है। आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि एक नया इतिहास रच रही है।पीएम मोदी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैैं। आज विश्वनाथ धाम अकल्पनीय आनंद, ऊर्जा से भरा है। उसका वैभव विस्तार ले रहा है। इसकी विशेषता आसमान छू रही हैैं। आसपास जो प्राचीन मंदिर लुप्त प्राय थे, उन्हें पुर्नस्थापित किया जा चुका है। बाबा अपने भक्तों की सदियों की सेवा से प्रसन्न हुए हैैं। बाबा विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परंपराओं का। भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का। आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं। इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्रर मोदी को बधाई दी और कहा कि आज सपने साकार हुए. महात्मा गांधी का सपना था और इसे साकार करने पर संतुष्टि प्राप्त हो रहा है.