वरीय संपादक -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, (बेंगालुरु), 09 मई ::भगवान चित्रगुप्त प्रकटोत्सव के अवसर पर जीकेसी कर्नाटक और बेंगालुरु के कायस्थों ने बेंगालुरु के कोरमंगला क्लब में आराध्य भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजाउत्सव मनाया।इसी दिन जीकेसी कर्नाटक ने महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक और एक गतिशील कवि साहित्य और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता श्री रघुपति सहायजी, जिन्हें फिराक गोरखपुरी के नाम से भी जाना जाता है, को सम्मानित करने और याद करने के लिए व्यख्यानमाला का भी आयोजन किया।व्यख्यानमाला कार्यक्रम का उद्घाटन जीकेसी ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने पटना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। कार्यक्रम को ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव, ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना ने भी संबोधित किया। कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डॉ कुमार मानवेंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपनी महान विभूति फिराक गोरखपुरी जी के लिए व्यख्यानमाला का आयोजन करने पर गर्व है। उन्होंने सभी कायस्थों को आगे आने और समाज की बेहतरी के लिए जीकेसी में शामिल होने के लिए कहा।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नितेश शरण ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जीकेसी कर्नाटक को महान कवि और स्वतंत्रता सेनानी रघुपति सहाय जी के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का मौका देने के लिए राष्ट्रीय टीम को धन्यवाद दिया।उन्होंने जीकेसी नेशन टीम से मांग किया है कि भारत सरकार ज्ञानपीठ और साहित्य पुरस्कार विजेता फिराक गोरखपुरी की तस्वीर संसद भवन में लगाई जाय।कर्नाटक के महासचिव उत्कर्ष आनंद ने अपने संबोधन में सभी सदस्यों को चित्रगुप्त जयंती की शुभकामनाएं दीं और रघुपति सहाय जी के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।उक्त अवसर पर मधुर स्मिता, सुलक्षणा सक्सेना, अपूर्वा, डॉ टी बी के सिन्हा, शैलेंद्र कुमार, आनंद श्रीवास्तव, संजय रवि, माधुरी सिन्हा, नव किशले के अतिरिक्त जीकेसी के कई सदस्य उपस्थित थे।फिराक गोरखपुरी जी के संबंध में उनके साहित्य और कविताओं और स्वराज आंदोलन में योगदान के बारे में अच्छी तरह से समझाया गया। कवियत्री माधुरी सिन्हा ने भारतीय साहित्य में फिराक के योगदान के बारे में बताया। शैलेंद्र कुमार ने उनकी लोकप्रिय कविताओं को समझाया और यह किस संदर्भ में लिखी गई थी और यह वर्तमान समाज से कैसे मेल खाती है। आनंद श्रीवास्तव ने फिराक के बारे में बहुत अच्छी तरह से समझाया है और फिराक गोरखपुरी की कुछ नज़्म भी गाया।