प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट- पटना, १८ जून। माहात्मा गांधी के अवज्ञा आंदोलन में अनेको बार जेल की यातना सहने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी साँवलिया बिहारी लाल वर्मा भारत के एक ऐसे आदरणीय महापुरुष थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश और समाज को समर्पित कर दिया। अर्थ-शास्त्र, इतिहास और अन्तर्राष्ट्रीय विधि के यशस्वी विद्वान साँवलिया जी का दिव्य और आकर्षक व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्होंने अनेक आयामों से राष्ट्र और राष्ट्रभाषा की सेवा की। वे एक महान स्वतंत्रता-सेनानी, राष्ट्र-भाषा हिन्दी के महान पक्षधर, स्तुत्य शिक्षाविद, प्राध्यापक और अनेकानेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक संस्थाओं के संस्थापक-पोषक और परोपकारी साधु-पुरुष थे।यह बातें शनिवार को, उनकी १२६वीं जयंती पर, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह और लघुकथा-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि,साँवलिया जी भारतीय विधि आयोग तथा बिहार राष्ट्र भाषा परिषद और बिहार विधान परिषद के भी माननीय सदस्य थे। उनका अखिल भारत वर्षीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से भी, इसकी स्थापना के काल से ही, गहरा जुड़ाव था। वे १९२७ के नवम्बर माह में, सोनपुर में आयोजित सम्मेलन के विशेष अधिवेशन के सभापति बनाए गए थे।डा सुलभ ने कहा कि साँवलिया जी देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद के ममेरे अनुज तथा उन्हीं के समान बाल्य-काल से ही मेधावी थे। राजेंद्र बाबू के कारण साँवलिया जी महात्मा गांधी के भी निकट संपर्क में थे। सन १९३० में गांधी जी द्वारा आहूत ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ और ‘नमक सत्याग्रह’ में भाग लेने के कारण वे गिरफ़्तार भी हुए।उन्होंने ‘गद्य चंद्रिका’, ‘ गद्य-चंद्रोदय’, ‘विश्व धर्म-दर्शन’, ‘इस्लाम की झाँकी, ‘भारत में प्रतीक पूजा का आरंभ एवं विकास’, ‘गीता-विश्वकोष’ (दो खण्डों में), ‘अन्तर्राष्ट्रीय विधि’, ‘युरोपीय महाभारत’, ‘लोक सेवक महेंद्र प्रसाद’, ‘दो आदर्श भाई’, ‘दक्षिण भारत की यात्रा’ , ‘रामेश्वरम-यात्रा’ तथा ‘बद्री-केदार यात्रा’ (१९६१) नामक ग्रंथों का सृजन किया। उन्होंने ‘तब और अब’ शीर्षक से अपनी ‘आत्म-कथा’ भी लिखी थी, जो प्रकाश में नही आ सकी।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी और सुकवि बच्चा ठाकुर, बाँके बिहारी साव तथा अर्जुन प्रसाद सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अभय आनंद, आनंद मनीष, विजय कुमार दिवाकर, चंद्रशेखर आज़ाद, दुःखदमन सिंह, विशाल सक्सेना, रोहित कुमार, अमन कुमार, रवींद्र कुमार सिंह, दिनेश कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया।