पटना, २२ अक्टूबर। ‘इस्सयोग’ आडंबर-रहित और दुर्लभ फलदाई, एक अत्यंत सहज और गुरुकृपा से सरलता से की जाने वाली आध्यात्मिक साधना-पद्धति है। यह मन को साधने तथा ब्रह्म-प्राप्ति की आंतरिक प्रक्रिया है। गुरु-कृपा से, इसे कोई भी सामान्य और गृहस्थ स्त्री-पुरुष सरलता से कर सकता है। इसमें किसी भी भौतिक-सामग्री की आवश्यकता नही होती।यह बातें, शनिवार को, आध्यात्मिक संस्था ‘अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज’ के तत्त्वावधान में, गोलारोड स्थित एम एस एम बी इस्सयोग-भवन में आयोजित ‘शक्तिपात-दीक्षा’ कार्यक्रम में संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्म-निष्ठ सद्गुरुमाता माँ विजया जी ने कही। उन्होंने दो सौ से अधिक नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को, इस्सयोग की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक ‘शक्तिपात-दीक्षा’ प्रदान की।दीक्षा के पश्चात अपने आशीर्वचन में, माताजी ने कहा कि, परमात्मा ‘ध्वनि और प्रकाश’ के रूप में संपूर्ण चराचार जगत में व्याप्त है। नाद-ब्रह्म के रूप में वो सर्व-व्यापी है। इस्सयोग की दिव्य-साधना-पद्धति उसे ही जानने और अनुभूत करने का मार्ग है।भजन-संयोजिका किरण प्रसाद के संयोजन में, इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजन-संकीर्तन से आरंभ हुए इस दीक्षा-कार्यक्रम का समापन प्रसाद-वितरण के साथ संपन्न हुआ।यह जानकारी देते हुए संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि, आयोजन की सफलता हेतु संस्था के संयुक्त सचिव और अवकाश प्राप्त प्रबंध निदेशक ई उमेश कुमार, सरोज गुटगुटिया, श्रीप्रकाश सिंह, अनंत कुमार साहू, डा जेठानंद सोलंकी, वीरेंद्र राय, किरण झा, मीरा देवी, प्राणपति सिंह, कपिलेश्वर मण्डल, पीयूष कुमार, गायत्री प्रदीप, प्रभात चंद्र झा,राकेश कुमार समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा साधक-गण उपस्थित थे।