पटना, ५ दिसम्बर । वरिष्ठ साहित्यकार और कवि अमरेन्द्र नारायण काव्य-प्रतिभा से संपन्न एक प्रभावशाली रचनाकार ही नहीं, एक समर्थ जीवनीकार भी हैं। इनका साहित्यिक व्यक्तित्व अत्यंत लुभावना है। इनकी रचानाएँ इनके अत्यंत मृदुल व्यवहार की भाँति ही पाठकों के मन को छूती है।यह बातें सोमवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, सम्मेलन द्वारा प्रकाशित श्री नारायण के काव्य-संग्रह ‘उत्साह तुम्हारा अभिनन्दन’ तथा श्री नारायण के साहित्यिक व्यक्तित्व पर, दिल्ली की विदुषी लेखिका डा करुणा शर्मा की पुस्तक ‘प्रवासी साहित्यकार अमरेन्द्र नारायण’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि डा शर्मा ने अपनी लोकार्पित पुस्तक में श्री नारायण के सभी उज्ज्वल-पक्षों को पाठकों के मध्य रखकर अत्यंत श्लाघ्य कार्य किया है।पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने कहा कि लोकार्पित काव्य-संग्रह के कवि और इनके साहित्यिक जीवन पर पुस्तक लिखने वाली लेखिका दोनों ही हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। ये दोनों अभिनन्दन और धन्यवाद के पात्र हैं।समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि अमरेन्द्र नारायण जो भारतीय संचार सेवा के बड़े अधिकारी रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ से संबद्ध दूर संचार संगठन एशिया पैसेफ़िक टेली कोम्यूनिटी के महासचिव रह चुके हैं एक बड़े संचारविद हैं। और इनका यही गुण इनके साहित्य में है। अपनी अनेक पुस्तकों में इन्होंने अपने संचार-कौशल का सुंदर परिचय दिया है।पुस्तक की लेखिका डा करुणा शर्मा ने कहा कि अमरेन्द्र नारायण जी का साहित्य लोक-मंगलकारी है। उनके साहित्य से प्रभावित होकर मैंने इन पर एक पुस्तक लिखने का मन बनाया। इनसे मेरी पहली भेंट थाईलैंड में एक साहित्यिक उत्सव में हुई थी। उन्होंने एक कविता पढ़ी,जिससे मैं अभिभूत थी। इनके साहित्य और विनम्र व्यक्तित्व ने मुझे अंतर तक प्रभावित किया और मुझे लिखने हेतु प्रेरित किया। यह पुस्तक उसी का परिणाम है।पुस्तकों के कवि अमरेन्द्र नारायण ने अपनी कविता का पाठ करते हुए कहा कि, जीवन में उत्साह का बहुत बड़ा स्थान है। यह जीवन के एकाकीपन और संघर्ष की पीड़ा को दूर करने में किसी औषधी की तरह है। निराशा और हताशा को दूरकर ही हम जीवन के कठोर पथ पर बढ़ सकते हैं। कोरोना-काल में हमें यह प्रेरणा हुई कि ‘उत्साह का अभिनन्दन’ किया जाना चाहिए।सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, पद्मश्री विमल जैन, डा किरण शरण, डा दिवाकर तेजस्वी तथा बच्चा ठाकुर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना किया। गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय, शायरा तलत परवीन, श्याम बिहारी प्रभाकर, शमा कौसर शमा, जबीं शम्स, मोईन गिरिडीहवी, मो शादाब, अश्विनी कविराज, अजित कुमार भारती आदि कवियों और कवयित्रियों ने भी अपनी कविताओं से कवि-सम्मेलन को स्मरणीय बना दिया। मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने किया।लेखक की पत्नी आशा नारायण, नीलिमा सिन्हा, डा मलय, डा संजीव कुमार, नीलम सिन्हा, मंजू नारायण, डा बी एन विश्वकर्मा, किरण वर्मा, नेहाल कुमार सिंह निर्मल’ समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध-श्रोता उपस्थित थे।