पटना, १२ फरवरी। ‘इस्सयोग’ की साधना न केवल अत्यंत सहज,सरल और आडंबर रहित है, बल्कि ब्रह्म-प्राप्ति और रोग-मुक्ति में भी सहायक है। सद्ग़ुरु से शक्ति-पात दीक्षा ग्रहण कर, प्रतिदिन ब्रह्म-मुहूर्त में नियमित साधना करने वाले साधक, निश्चित रूप से अपना आत्मिक उत्थान कर सकते हैं। यह अलौकिक आध्यात्मिक-शक्तियाँ प्रदान करनेवाली सूक्ष्म आंतरिक साधना-पद्धति है।यह बातें रविवार की संध्या, अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, गोलारोड स्थित एम एस एम बी भवन में आयोजित ‘शक्तिपात-दीक्षा कार्यक्रम’ में अपना आशीर्वचन देती हुईं, संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्म-निष्ठ सद्गुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने कहा कि,सच्चे-ज्ञान और सच्चे गुरु के अभाव में आज का मानव त्रितापों से ग्रस्त भीषण कष्ट भोग रहा है। अपनी ही अज्ञानता के कारण आज का मानव, सारी भौतिक उन्नति के बाद भी अपने जीवन से असंतुष्ट, हताश और निराश है। ‘इस्सयोग’ का यह अत्यंत सरल मार्ग, पीड़ा से मुक्ति का द्वार खोलता है। इसकी क्रिया मन को साधने की भी प्रक्रिया है। इसके पूर्व माताजी ने तीन सौ से अधिक नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को, इस्सयोग की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक, शक्तिपात-दीक्षा प्रदान की।यह जानकरी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि कार्यक्रम का आरंभ, भजन-गायक बीरेन्द्र राय के संयोजन में,इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजन-संकीर्तन से हुआ। प्रसाद वितरण के साथ दीक्षा-कार्यक्रम संपन्न हुआ।दीक्षा कार्यक्रम में संस्था के संयुक्त सचिव संदीप गुप्ता, लक्ष्मी प्रसाद साहू, श्रीप्रकाश सिंह, अनंत कुमार साहू, नीना दूबे, प्रदीप गायत्री, प्रभात झा, माया साहू, किरण झा, सुरेंद्र प्रसाद, गौतम सिन्हा, आनन्द किशोर खरे, मंजू देवी, पीयूष कुमार, राकेश कुमार, अमित राज, मनीष सुजाता तथा रविकान्त समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा साधक-गण उपस्थित थे।