पटना, 8सितम्बर। कथा-लेखन से विद्यार्थियों में कल्पना-शक्ति और सृजन-शीलता का विकास होता है। यह रचनात्मक-प्रतिभा के विकास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति है। प्रत्येक विद्यार्थी को कथा-लेखन में रूचि रखनी चाहिए। इससे आंतरिक-प्रतिभा निखरती है। भाषा शुद्ध होती है और वाणी में शालीनता आती है।यह बातें शुक्रवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित हिन्दी पखवारा-सह-पुस्तक चौदस मेला के 8वें दिन शुक्रवार को विद्यार्थियों के लिए ‘कथा-लेखन-प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया। सभी विद्यार्थियों ने अलग-अलग शीर्षकों से कहानियाँ लिखीं।प्रतियोगिता में, आचार्य सुदर्शन सेंट्रल स्कूल, कंकड़बाग, बाल्डबिन ऐकेडमी, बोरिंग केनाल रोड, अरविंद महिला कौलेज, काजीपुर, ‘किलकारी बाल भवन’ विद्यालय, सैदपुर, पटना पब्लिक स्कूल, हसनपुरा तथा इनफैंट जीसस स्कूल के विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रतियोगिता के निर्णायक-मंडल के सदस्य, डा मधु वर्मा, डा पुष्पा जमुआर, विभा रानी श्रीवास्तव समेत आयोजन समिति के सदस्य प्रो सुशील कुमार झा, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, कृष्ण रंजन सिंह, अरुण कुमार श्रीवास्तव, रेखा राय, शुभ्रा श्रीवास्तव आदि शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं अभिभावक गण उपस्थित थे। कल 9सितम्बर को अपराहन 4 बजे ‘भारतेन्दु जयंती, लघुकथा-गोष्ठी एवं पुस्तक-लोकार्पण समारोह’ आयोजित होगा।