अमेरिका में कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने जम्मू कश्मीर में हाल में हुए घटनाक्रमों की ‘एकतरफा खबरें प्रकाशित’ करने के खिलाफ शनिवार को यहां द वॉशिंगटन पोस्ट के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। वहीं समाचार पत्र ने कश्मीर पर अपने कवरेज को ‘निष्पक्ष, सटीक और व्यापक’ बताते हुए इसका बचाव किया है। यह प्रदर्शन ग्लोबल कश्मीरी पंडितो डायस्पोरा ने किया।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद यह प्रतिष्ठित अमेरिकी दैनिक अखबार ‘एकतरफा और भेदभावपूर्ण खबरें’ दे रहा है।
ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा ने वॉशिंगटन पोस्ट को दिए एक ज्ञापन में कहा, ‘आपकी खबरों में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के साथ ही अनुच्छेद 35ए से हुई कानूनी अराजकता का जिक्र नहीं है।’ अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से वॉशिंगटन में एकत्रित हुए कश्मीरी पंडितों ने यह ‘साहसी और ऐतिहासिक कदम’ उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारे लगाए।
प्रदर्शन के आयोजक ने कहा, ‘वॉशिंगटन पोस्ट मीडिया की खबरों में कहीं यह जिक्र नहीं है कि इस अराजक राज्य में आदिकालीन कश्मीरी पंडितों के खिलाफ सबसे जघन्य नरसंहार हुआ जिससे उन्हें निर्वासित होना पड़ा।’ रैली के मुख्य संयोजक मोहन सप्रू ने कहा, ‘वॉशिंगटन पोस्ट की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग में इस सच को नजरअंदाज किया गया कि अनुच्छेद 370 और 35ए के कारण अल्पसंख्यक, महिलाएं और समाज के कमजोर वर्ग के लोग लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रहे जबकि कश्मीर घाटी काबू से बाहर भ्रष्टाचार, अलगावववाद की जमीन बन गई।’
जिस जगह पर कश्मीरी पंडित प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं पाकिस्तानी अमेरिकियों, अलगाववादी कश्मीरियों और अलगाववादी खालिस्तानियों के एक समूह ने वॉशिंगटन पोस्ट के समर्थन में मूक प्रदर्शन किया। कुछ पाकिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारियों ने भारतीय पत्रकारों को उनके प्रदर्शन को कवर करने से भी रोका।
कौशलेन्द्र