पटना-कौशलेन्द्र पाण्डेय,
पटना, ३० नवम्बर । महाकाव्य ‘महाशक्ति‘, ‘मेनका‘, ‘रास–रचैया‘, ‘जागरी वसुंधरा‘, ‘धरती की पुकार पर‘, ‘आह्वान‘, ‘गतगंधा‘, ‘गीति–काव्य‘, ‘जीवन–संदेश‘, ‘कवि और कविता‘, ‘अवदान‘ जैसी कालजयी कृतियों के महाकवि ब्रजनंदन सहाय ‘मोहन प्रेमयोगी‘ यश की लालसा से दूर निरंतर एकांतिक साधना में लीन रहे। प्रचार से स्वयं को सदा दूर हीं रखा। इसीलिए समीक्षकों की दृष्टि से भी अलक्षित रह गए। जिन्होंने उन्हें पढ़ा, वे सब के सब उनकी सारस्वत–प्रतिभा और विद्वता से प्रभावित हुए। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाने में बड़ा योगदान दिया। उनके दो दर्जन से अधिक काव्य–ग्रंथ हिन्दी को दिया गया अमूल्य उपहार है। काव्य–ग्रंथों के अतिरिक्त उन्होंने ‘भारतीय मनीषा में ईश्वरवाद‘ और ‘भारतीय प्रजातंत्र एवं प्रशासन‘ जैसे चिंतन–प्रधान गद्य ग्रंथ भी लिखे, जो उनकी विद्वता के परिचायक हैं। वे सौम्यता, सरलता और विनम्रता के मूर्त रूप थे। उनका विपुल साहित्य पीढ़ियों का मार्ग–दर्शन करता रहेगा।
शनिवार की संध्या, सर्वमंगला लीली गार्डेन, शिवपुरी में, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रेमयोगी जी की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने ये बातें कहीं। डा सुलभ ने कहा कि प्रेमयोगी जी समकालीन साहित्य के एक महान कवि थे, आने वाली पीढ़ियाँ जब उन्हें पढ़ेंगी, समझेंगी और उनके विचारों को अपने में ढालेंगी, तभी उनका सही मूल्यांकन हो सकेगा। यह एक कटु सत्य है कि कवियों को समझने में, समाज को सदियाँ लग जाती हैं।
सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि, प्रेमयोगी जी एक पूर्ण पुरुष थे। सभी सद्गुणों से युक्त वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिसमें अध्यात्म, साहित्य, सेवा, संस्
सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त ने कहा कि प्रेमयोगी जी संपूर्ण विश्व में हिन्दी के विस्तार के पक्षधर थे। इस हेतु निरंतर सक्रिए भी रहे। उन्होंने ‘विश्व हिन्दी संवर्द्धन समिति‘ की भी स्थापना की थी, जिसके माध्यम से हिन्दी के लिए कार्य कर रहे विद्वानों को जोड़ने की चेष्टा की। वे साहित्य सम्मेलन के भी संरक्षक सदस्य थे।
कवि के जमाता और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी डा अंजनी कुमार वर्मा, पुत्री डा प्रतिभा सहाय, आचार्य पाँचु राम, डा अर्चना त्रिपाठी, हरिश्चन्द्र सिन्हा तथा डा मनोज गोवर्द्धनपूरी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। इस अवसर पर, कवि की विधवा शांति सहाय, पुत्र नर्मदेश्वर सहाय, रवि रंजन सहाय, अमरेश्वर सहाय, पुत्री डा प्रतिभा सहाय, वरिष्ठ कवि समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कवि के ज्येष्ठ पुत्र और वरिष्ठ चिकित्सक डा योगेश कृष्ण सहाय ने किया।