पटना. पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की की तबीयत में बहुत सुधार नहीं हुआ है और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज जारी है. इस बीच वे कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे वे मीडिया में भी बने हुए हैं. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने ‘संदर्भ’ शीर्षक से एक पत्र अपने लेटर पैड पर लिखा है. जिसमें उन्हहोंने अपनी व्यथा-कथा कहने के साथ उन्होंने राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद पर बड़ा हमला बोला है. इस पत्र के जरिये उन्होंने राजनीति की शुचिता की बात की है, लेकिन माना जा रहा है कि उनका सीधा निशाना लालू प्रसाद यादव की परिवारवाद वाली राजनीति पर है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने जो पत्र लिखा है उसका मजमून कुछ यूं है.वर्तमान में राजनीति में इतनी गिरावट आ गई है जिससे लोकतंत्र पर ख़तरा है. महात्मा गांधी बाबू जयप्रकाश, डॉ. लोहिया, बाबा साहेब और जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम और विचारधारा पर लाखों लोग लगे रहे, कठिनाईयां सहीं, लेकिन डगमग नहीं हुए, लेकिन अब समाजवाद की जगह सामंतवाद, जातिवाद, वंशवाद, परिवारवाद, संप्रदायवाद आ गया. यह सभी उतनी ही बुराईयां हैं जिसके खिलाफ समाजवाद का जन्म हुआ था. अब इन पांचों महान पुरुष की जगह एक ही परिवार के पांच लोगों की फोटो छपने लगी है. पद हो जाने से धन कमाना और धन कमाकर ज्यादा लाभ का पद खोजना. राजनीति की परिभाषा के अनुसार इन सभी बुराइयों से लड़ना है. राजद संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से ही पार्टी में संगठन और संघर्ष को मजबूत करने के लिए लिखा, लेकिन पढ़ने तक का कष्ट नहीं किया गया.रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने पत्र में यह आरोप भी लगाया कि आज कुछ पार्टियां टिकटों की खरीद बिक्री करने में लगी हुई हैं जो लोकतंत्र के लिए खतरा है. इसके साथ ही कार्यकर्ताओं की हक मारी भी हो रही है. बता दें कि गुरुवार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया था, जिसे आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने नामंजूर कर दिया है. हालांकि रघुवंश प्रसाद सिंह के करीबी लोग बताते हैं कि अब उनका राजद में लौटना नामुमकिन सा है. वहीं वे आगे भी ऐसे पत्र लिखते रहेंगे.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.