रुद्रप्रयाग, निखिल दुबे : उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के कपाट छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद आज सुबह 5 बजे खोल दिए गए. मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से इस दौरान श्रद्धालु उपस्थित नहीं रह पाए.
विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आज सोमवार को प्रातः 5 बजे विधि-विधान से पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के बाद खोल दिए गए। मेष लग्न के शुभ संयोग पर मंदिर का कपाटोद्घाटन किया गया। मैं बाबा केदारनाथ से सभी को निरोगी रखने की प्रार्थना करता हूं। pic.twitter.com/ZTjeN4n5jM
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 17, 2021
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा, ”विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आज सोमवार को प्रातः 5 बजे विधि-विधान से पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के बाद खोल दिए गए. मेष लग्न के शुभ संयोग पर मंदिर का कपाटोद्घाटन किया गया. मैं बाबा केदारनाथ से सभी को निरोगी रखने की प्रार्थना करता हूं.” तीरथ सिंह रावत ने आगे लिखा कि ”केदारनाथ के मुख्य पुजारी आदरणीय श्री भीमाशंकर लिंगम् जी की अगुवाई में तीर्थ पुरोहित सीमित संख्या में मंदिर में बाबा केदार की पूजा-अर्चना नियमित रूप से करेंगे. मेरा अनुरोध है कि महामारी के इस दौर में श्रद्धालु घर में रहकर ही पूजा-पाठ और धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करें.”
बता दें कि कल यानि मंगलवार 18 मई को चमोली में स्थित भगवान बदरीनाथ के कपाट भी सुबह सवा चार बजे ब्रह्ममुहूर्त में खुल जाएंगे. कोविड के कारण यहां भी श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं होगी. कोविड के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी एसओपी के अनुसार, विधि विधान और पूजा अर्चना के साथ केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खोले जाने के दौरान वहां तीर्थ पुरोहितों, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों समेत केवल 25 लोग ही उपस्थित रहेंगे.
इससे पहले, शुक्रवार 14 मई को यमुनोत्री के कपाट और शनिवार पांच मई को गंगोत्री के कपाट खोले जाने के दौरान भी यही व्यवस्था लागू की गई थी. उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में चारधामों के नाम से मशहूर बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर साल छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद अप्रैल-मई में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं. गढ़वाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा पर भी कोविड का साया पड़ा है.