सौरभ निगम की रिपोर्ट/हरिद्वार पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मौजूद रहे स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्णा स्वागत किया .महामहिम राष्ट्रपति ने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दीक्षान्त समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं तथा स्नातक, स्नात्कोत्तर, पी.एच-डी. की उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि हरिद्वार देवभूमि में आना सौभाग्य की बात है। हरिद्वार का हमारी परम्परा में एक विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु व भगवान शंकर जी की पावन स्थली व प्रवेश द्वार है। 10 वर्ष पूर्व योग को लेकर एक तपस्या के रूप में जानते थे और लोग सोचते थे कि योग वही कर सकता है जो सन्यासी होगा। मगर स्वामी रामदेव जी ने इस परिभाषा को बदल दिया है। आज हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में किसी न किसी रूप में योग अवश्य करता है।आज कुछ लोग योग को धर्म के चश्मे से देखते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। योग शरीर व मन को स्वस्थ रखने व उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक पद्धति है। आज क्यूबा जैसा राष्ट्र भी योग को मानता है जिसने योग दिवस मनाया। वहाँ के राष्ट्रपति ने खुद मुझसे कहा कि मैं खुद योग करता हूँ, साथ ही सूर्य नमस्कार भी करता हूँ और उसी ही राह पर आज सउदी अरब में सुश्री मारमाई को योग का प्रचार-प्रसार करने के लिए चुना गया है। यह भारत की बहुत बड़ी जीत है। योग सबके लिए है, योग सबका है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि मैं इस वर्ष अप्रेल माह में आना चाहता था मगर कोविड महामारी के कारण यहाँ न आ सका। जिस कारण एक अच्छा कार्य अधूरा रह गया था। मगर यह अधूरा कार्य पूर्ण करने के लिए मैं स्वस्थ व उत्साह के वातावरण के बीच यहाँ पर पहुँचा हूँ।वर्ष 2006 में पतंजलि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जो आज योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, दर्शन, संस्कृत, अंग्रेजी, पर्यटन, प्रबंधन, आधुनिक विज्ञान व अनुसंधान के माध्यम के साथ विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। योग व आयुर्वेद आने वाले भविष्य का मूल है। पतंजलि विश्वविद्यालय देश व विदेश में सभी पाण्डुलिपियों का संरक्षण व लेखन प्रकाशन पर सर्वाधिक कार्य कर रही है। इस कार्य को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज भी किया गया है। भविष्य योग व वैदिक संस्कृति का है जहाँ आयुर्वेद से ही लोगों का उद्धार होगा। संसार योग, सनातन संस्कृति का अनुसरण करेंगे जिसकी तरफ आज पूरी दुनिया निहार भी रही है। पतंजलि विश्वविद्यालय यह सभी कार्य पूर्ण करने के प्रति संकल्पित है।इस अवसर पर कुल 700 विद्यार्थियों को स्नातक उपाधि से सम्मानित किया गया जिसमें बी.ए. योग विज्ञान में कुल 473, बी.एस.सी. योग विज्ञान में 142, बी.पी.ई.एस. (शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद) में 20, बी.ए. दर्शन में 12, बी.ए. व्याकरण में 53 विद्यार्थी शामिल रहे। वहीं 620 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधि से सम्मानित किया गया जिसमें एम.ए. योग विज्ञान के 354, एम.एस.सी. योग विज्ञान के 191, एम.ए. मनोविज्ञान के 28, एम.ए. दर्शन के 23, एम.ए. संस्कृत साहित्य के 21, एम.ए. संस्कृत व्याकरण के 3 विद्यार्थी शामिल रहे। 1 विद्यार्थी को विशिष्ट आचार्य उपाधि (एम.फिल.) तथा 11 विद्यार्थियों को विद्यावारिधि (पी.एच-डी.) उपाधि से सम्मानित किया गया। साथ ही 78 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह, माननीय प्रदेश मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड श्री धनसिंह रावत ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।