शैलेश तिवारी, वरीय संपादक की रिपोर्ट /सामयिक परिवेश हिंदी पत्रिका के बिहार अध्याय द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी में किया गया जिसका उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार शिवनारायण,वरिष्ठ कथा लेखिका,शिक्षाविद और सामयिक परिवेश की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा, प्रख्यात लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत, कला मर्मज्ञ और लेखक अशोक कुमार सिन्हा तथा शायर समीर परिमल, कासिम खुर्शीद एवं श्याम कुंवर भारती ने किया। काव्य गोष्ठी में अनुभवी कवियों के साथ-साथ युवा कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से उपस्थित लोगों को भावविभोर किया।समीर परिमल, मुकेश ओझा, प्रेरणा प्रताप, नसीम अख्तर, चंद्रबिंद सिंह, रेखा भारती, मीना कुमारी,राज कांता राज, नीलू अग्रवाल,सुधा पाण्डेय,स्मिता परासर, श्याम कुमार भारती सहित अनेक कवियों ने स्वरचित कविताओं का पाठ किया। संस्था की अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा ने कहा कि बसंत उल्लास और उमंग का मौसम है। साहित्यकारों का पसंदीदा मौसम भी वसंत है।अतिथियों का सम्मान मधुबनी पेंटिंग देकर ममता मेहरोत्रा ने किया और सभी ने बसंत और फागुन की कविताएं पेश की।… वरिष्ठ कवि शिव नारायण सिंह की कविता के बोल रहे-कदम कदम पर लाखो छल भीड़ बहुत है धीरे चल । नीतू कुमारी नवगीत ने स्वरचित सरस्वती वंदना का गायन करने के बाद होली का त्यौहार आया ,होली का त्योहार दिल से नफरत निकाल दिल से नफरत निकाले गीत प्रस्तुत किया।अशोक कुमार सिन्हा ने वसंत का गीत प्रस्तुत किया कि कितना सुहाना मौसम आ जाता है जब हमारे मन में वसंत छा जाता है। पंकज प्रियम ,समीर परिमल एवं कासिम खुर्शीद ने एक से बढ़कर एक गजलें प्रस्तुत करके वाहवाही लूटी। कवयित्री प्रेरणा प्रताप ने सूफियाना अंदाज में कहा -मेरा इश्क जरा सा सूफी और नूरानी है.बस इस को महसूस किया मेरी आंखों में पानी है।आदित्य की स्वर्णिम नव रश्मि नामक कविता सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं सामयिक परिवेश की संस्थापिका ममता मेहरोत्रा के द्वारा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम का सफल संचालन श्वेता मिनी ने किया।