पटना, १६ जून। हिन्दी के प्रति अपनी अनन्य निष्ठा और भक्ति के कारण साहित्य-समाज में अपनी विशिष्ट-छाप छोड़ानेवाले स्मृति-शेष साहित्यकार नृपेंद्रनाथ गुप्त अपने साहित्य और स्मृतियों में, ‘राष्ट्रभाषा- प्रहरी’ के रूप में सदैव जीवित रहेंगे। गुप्त जी हिन्दी भाषा को संपूर्ण भारतवर्ष में लोकप्रिय बनाने में अपने महान योगदान के लिए भी जाने जाएँगे। अपने सुदीर्घ जीवन में उन्होंने राष्ट्र और राष्ट्रभाषा को सर्वोच्च स्थान दिया। वे एक बड़े साहित्यकार ही नहीं एक बड़े संगठन-कर्ता और उत्प्रेरक भी थे। दशकों तक हिन्दी समाज उनकी कमी की अनुभूति करता रहेगा। उनके निधन से हिन्दी ने अपना वलिदानी-पुत्र खो दिया है।यह बातें स्वर्गीय गुप्त के श्राद्धोत्सव के अवसर पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित ‘श्रद्धांजलि-सभा की अध्यक्षता करते हुए,समेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि गुप्त जी साहित्य सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष ही नहीं डा बी भट्टाचार्या के बाद सबसे वरीय जीवित संरक्षक सदस्य थे। साहित्य सम्मेलन की रक्षा और उसके उन्नयन में उनके अवदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। साहित्य सम्मेलन इस वर्ष से उनके नाम पर स्मृति-सम्मान आरंभ करेगा।वरिष्ठ साहित्यकार और सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय ने कहा कि गुप्त जी का साहित्यिक जीवन बहुत ही दीर्घायु रहा। साहित्यिक पत्रिका ‘नया भाषा भारती संवाद’ के दो दशकों से अधिक तक निरंतर प्रकाशन में उनका त्याग और वलिदान अद्भुत है। उन पर भागलपुर विश्वविद्यालय से एक शोधार्थी ने पी एच डी की उपाधि प्राप्त की है। हम दोनों साठ वर्ष से अधिक से बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से जुड़े रहे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि गुप्त जी के समग्र साहित्य का एक सकल-प्रकाशन साहित्य सम्मेलन की ओर से किया जाएगा।सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, ‘जागो बहन’ की संस्थापिका डा शांति ओझा, डा मेहता नगेंद्र सिंह, रमेश कँवल, डा पुष्पा जमुआर, डा सुधा सिन्हा, कृष्ण रंजन सिंह, डा अर्चना त्रिपाठी, सागरिका राय, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, चितरंजन भारती, आचार्य विजय गुंजन, सुभद्रा शुभम, डा आर प्रवेश, अरुण कुमार, रामेश्वर प्रसाद चौधरी, डा दिनेश दिवाकर, रूबी भूषण, डा मनोज कुमार, स्व गुप्त के पुत्र आलोक कुमार गुप्त, विवेक कुमार गुप्त, पुत्री डा प्रज्ञा गुप्ता, नीरव समदर्शी, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्त, पंकज प्रियम, संजीव कुमार श्रीवास्तव, ज्ञानेंद्र कुमार, राहूल सिन्हा, धर्म प्रकाश वर्णवाल, प्रो सुखित वर्मा, आद्या स्वरूप और भव्या शंकर ने भी अपने श्रद्धा-उद्गार व्यक्त किए। श्रद्धांजलि-सभा का संचालन बाँके बिहारी साव ने किया। ,इस अवसर पर, स्व गुप्त की पुत्रवधू पूनम गुप्ता, मोनिका कुमारी, रवि शंकर , अशेष आदित्य, अनन्या निधि, अनुष्का निधि, प्रखर शंकर,अमरेन्द्र कुमार झा, अमित कुमार सिंह आदि स्व गुप्त के परिजन और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।