समरथ को नहिं दोष गुसाईं यह बहुत पुरानी कहावत है जो लॉक डाउन में देखने को मिल रहा है जहां लॉक डाउन की धज्जियां वही लोग उड़ा रहे हैं जिनके कंधों पर इसके नियमों के अनुपालन की जिम्मेवारी है नवादा एसडीओ द्वारा भाजपा के एक विधायक की बेटी को कोटा से वापस पटना लाने के लिए दिया गया पत्र विवादों के घेरे में आ गया है । लॉक डाउन के कारण कोटा में पढ़ने वाले बिहार के सैकड़ों छात्र फंसे हुए हैं बिहार सरकार द्वारा उन छात्रों को अब तक कोटा से वापस बिहार लाने के लिए कोई पहल नहीं की गई है उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोटा में फंसे बच्चों को लाया जा चुका है ऐसे में वैसे अभिभावक जिनके बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं अपने बच्चों को वापस लाने के लिए को लेकर परेशान है ।
देशभर में जारी कोरोना लॉकडाउन के बीच बिहार में बीजेपी के एक विधायक अपनी बेटी को कोटा से लाने में सफल रहे हैं. बिहार के हिसुआ विधानसभा से बीजेपी के विधायक अनिल सिंह ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि मेरी बिटिया कोटा में परेशान थी. मैं पहले पिता हूं फिर विधायक हूं। इसलिए मैंने पिता और विधायक का धर्म और कर्तव्य निभाया है।
बकौल विधायक श्री सिंह उन्होंने कोरोना को लेकर की गई बंदी का उल्लंघन नहीं किया तो विधायक ने कहा कि मैं जिला प्रशासन की अनुमति और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही अपनी बेटी को वहां से लाया हूं। विधायक ने कहा कि केवल सरकार की जिम्मेवारी पर अपने बच्चों को छोड़ने की जरूरत नहीं है मैं एक पिता हूं और मैंने पिता की जो जिम्मेदारी होती है उसे निभाया है। कहा कि हर देशवासी का भी अधिकार है।
वहीं पूर्वी चंपारण के भी सैकड़ों ऐसे अभिभावक है जिनके बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं और वह उनको लेकर चिंतित है। इस बाबत जिले के विख्यात अधिवक्ता नरेंद्र देव ने कहा कि उनकी पुत्री भी कोटा में लॉक डाउन को लेकर फंसी हुई है ,लेकिन उसको लाने का कोई उपाय नहीं हो पा रहा है। बेटी को कोटा से लाने के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं मिल पा रही है। इस बाबत पूछे जाने पर अनुमंडल पदाधिकारी प्रियरंजन राजू ने बताया कि राज्य के बाहर जाने आने की अनुमति उनके द्वारा नहीं दी जा सकती । वह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने बताया कि वाहन की अनुमति जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा दिया जाता है।हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कल 20 तारीख के बाद सरकार की लॉक डाउन के नियमों में क्या छूट दी जाती है, इसके आधार पर कार्रवाई की जा सकेगी। वहीं अधिवक्ता नरेंद्र देव का कहना है कि विधायक हो या अधिवक्ता सभी भारत के नागरिक हैं और उनको बराबर का अधिकार है। ऐसे में जब एक विधायक को कोटा आने जाने की अनुमति दी जा सकती है तो हमें क्यों नहीं? यह अधिकार के हनन का मामला है। ऐसे अभिभावक बड़ी संख्या में हैं जी अपने बच्चों को कोटा से वापस लाने को लेकर परेशान हैं।
राकेश कुमार, मुख्य संवाददाता