आघात ! हृदय पर भीषण आघात ! हिन्दी भाषा और साहित्य के महनीय रसिक और वरिष्ठ समाजसेवी श्रीकांत सत्यदर्शी जी का शनिवार की रात्रि में निधन हो गया! मेरे अत्यंत आत्मीय और निष्ठावान मित्र थे सत्यदर्शी जी! उनके निधन से मैंने अपना एक अत्यंत मूल्यवान शुभेच्छु को खो दिया है! वे साहित्य-सृजन नहीं करते थे, किंतु हिन्दी भाषा और साहित्य के अनन्य उपासक थे! उनके मृदुल व्यक्तित्व की भाँति उनकी भाषा भी मृदु और प्रांजल थी! उनके व्याख्यान आकर्षक और प्रभावशाली होते थे! उनकी विनम्रता और समाजसेवा वंदनीय थी! वे कांग्रेस के नीतिवान नेता थे ! उनके निधन से हिन्दी और समाज की बड़ी क्षति पहुँची है! वे साहित्य सम्मेलन के परम हितैषी और कार्यसमिति के माननीय सदस्य भी थे! सम्मेलन के उद्धार और उन्नयन में उनका अवदान भी वंदनीय है! आज संध्या ५ बजे सम्मेलन भवन में उनके निधन पर शोक-गोष्ठी सम्पन्न होगी! आज संध्या आयोजित होनेवाला फ़ेसबुक लाइव कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया गया है: डा अनिल सुलभ