मधुशाला साहित्यिक परिवार देश मे रचनात्मक कार्यों के लिए जाना जाता है, इस कड़ी में परिवार द्वारा डिजिटल कवियत्री सम्मेलन आयोजित किया गया।
सम्मेलन का प्रारम्भ कवियत्री मीरा जी ने किया तत्पश्चात क्रमशः कवियत्रियों विभिन्न विधाओं में गीत, ग़ज़ल, कविता, छंदों से सम्मेलन को ऊंचाइयां प्रदान की।
शुरूआत में पायल बेदी जी (अम्बाला)ने माँ की मेहरबानियाँ,सच में माँ की दुआयों से जिंदगी बदल जाती है, सौम्या अग्रवाल (हरियाणा)
बचपन की प्यारी यादें
कभी नहीं भुलाई जा सकती पढ़कर तालियां बटोरी।
अनामिका रोहिल्ला(दिल्ली) ने वर्तमान परिस्थितियों का प्रसंग उठाकर जी रहे डाक्टर मानसिक तनाव में, डरे नहीं डटे रहें करोना के मैदान मे तथा कामिनी रावल जी (बांसवाड़ा) है करोना इक घातक वायरस, रहो सुरक्षित मास्क लगाओ
करोना को दूर भगाओ पढ़कर जागरण सन्देश की कविता पढ़ी।
इसी क्रम में राशि श्रीवास्तव (चंडीगढ़) चिड़ियों सी चहचहाती हैं बेटियाँ, माँ बाप की प्यारी होती हैं बेटियाँ, पूनम दुबे जी (छत्तीसगढ़)
क्या चलोगे मेरे साथ, उस गगन के पार .., वैष्णवी पारसे जी (मध्यप्रदेश) ने मुक्तक पढ़े, आज है यह समय भी सुहाना बहुत, मौसमें प्यार में आशिकाना बहुत, नीरजा शर्मा (चंडीगढ़) ने लाकडाऊन जिंदगी, वाह! री जिंदगी , क्या खूब हो तुम, सब कुछ बदल दिया, उमा वैष्णव जी (सूरत) फिर मुस्कुराएगा जहान, पतझड़ में फिर आएगी बहार, कलियाँ खिलेंगी इक बार ल, खुश्बू जैन (उदयपुर) दुनिया के हर इक आँगन में का, बिटिया है शृंगार, फिर भी जग में पल- पल होता, बिटिया का संहार तथा, निक्की शर्मा जी (मुम्बई) ने परेशानी हो या आँधी, दिन रात श्रम करते, बोझा सिर पर लेते, श्रमिक नहीं थकते हैं। पढ़कर सम्मेलन को शिखर तक पहुंचाया
इसी क्रम में मधुशाला परिवार में संयोजक कवि दीपेश पालीवाल ने आगामी साझा ई-संकलन प्रकाशन की जानकारी दी तथा संकलन के पृष्ठ का विमोचन राम पंचाल भारतीय एवं मयूर पंवार द्वारा किया गया तथा पटल ने स्वागत किया। उक्त संकलन में देश के लगभग …… रचनाधर्मियों की रचनाओं को स्थान दिया गया है। अभिनव का पहल पर पटल के सदस्यों ने ख़ुशी व्यक्त की।
अंत मे आभार संयोजक दीपेश पालीवाल ने ज्ञापित किया।
शैलेश तिवारी, पोलिटिकल एडिटर