कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान के बेटे सांसद चिराग पासवान ने अपने पिता की मूर्ति बिना केंद्रीय शहरी मंत्रालय को जानकारी दिए अपने आवास पर लगवा दी. दिल्ली के लुटियंस में चर्चा का विषय बना हुआ है. बिना शहरी मंत्रालय के परमिशन के चिराग ने अपने पिता की मूर्ति कैसे लगवा दी. चिराग पासवान ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलकर आग्रह किया था की पिता की प्रथम पुण्यतिथि तक हमको आवास में रहने दिया जाए. उसके बाद हम आवास को खाली कर देंगे.पासवान के निधन के बाद एक साल के भीतर उनके परिवार को सरकारी आवास खाली कर देना चाहिए, पर अगले महीने यह समय सीमा पूरी होने वाली है। चिराग से जुड़े करीबी सूत्रों का कहना है कि पासवान परिवार ने वहां रहने के लिए कुछ वक्त की मोहलत ले ली है। 12 जनपथ में चिराग द्वारा पिता की प्रतिमा लगवाने के कई गहरे सियासी मायने हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व को डर है कि चिराग बाहर जाने से इन्कार करके इस मुद्दे राजनीतिकरण कर सकते हैं। दलित समुदाय के बीच दिवंगत पासवान के काफी प्रभाव को देखते हुए भाजपा जानती है कि ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर उनके परिवार का विरोध करना मुश्किल हो सकता है। वैसे भी यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ महीने दूर हैं और भाजपा को गैर-जाटव दलित वोटों को पूर्वी यूपी में मजबूत करने की उम्मीद है। पार्टी मध्य और पूर्वी यूपी के कई निर्वाचन क्षेत्रों में पासवान समुदाय के वोटों पर निर्भर करेगा.