कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /निर्वाचन आयोग ने भी सभी 20 DM /जिलाधिकारियों से संपर्क किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार ने जिलाधिकारियों से संभावित चुनाव के संदर्भ में बात की. बता दें चुनाव आयोग की जिलाधिकारियों से मीटिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आहूत सर्वदलीय बैठक से पहले हुई है.मोदी, गुरुवार को जम्मू और कश्मीर के नेताओं से वार्ता करेंगे. समाचार के अनुसार सूत्रों ने संकेत दिया है कि सरकार उन जम्मू और कश्मीर के उन सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है. लेकिन फिलहाल पीएम की बैठक परिसीमन और जम्मू और कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराने पर केंद्रित है.चुनाव आयोग की मीटिंग दो सेशन में हुई. पहली बैठक सुबह 11 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और फिर दूसरी बैठक दोपहर 1.30 से दोपहर 3 बजे तक हुई. पहले सेशन में जम्मू, सांबा, राजौरी, पुंछ, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला, श्रीनगर, गांदरबल और बडगाम के जिलाधिकारी शामिल थे तो वहीं दूसरे सेशन में किश्तवाड़, डोडा, रामबन, उधमपुर, रियासी, कठुआ, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग के अधिकारी शामिल हुए.बैठक में जिलाधिकारियों से विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की समस्याओं के बारे में पूछा गया. साथ ही यह भी जानकारी ली गई कि क्या वोटर्स को मतदान के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर कोई विधानसभा किसी और जिले में आती है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि जिलाधिकारियों से ऐसे विधानसभा क्षेत्रों के संदर्भ में उन सामने आने वाली प्रशासनिक दिक्कतों के बारे में भी पूछा गया.इसके साथ ही परिसीमन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी बुधवार को जम्मू कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नयी सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया. सूत्रों ने बताया कि सभी 20 उपाययुक्तों ने एक ऑनलाइन बैठक में भाग लिया, जिसमें विधानसभा सीटों को भौगोलिक रूप से अधिक सुगठित बनाने के तरीके के बारे में जानकारी एकत्र की गई. परिसीमन प्रक्रिया के तहत जम्मू कश्मीर में कुछ विधानसभा सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया जाना है. परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर नवंबर 2018 से केंद्र के शासन में है और 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने इसके विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था और इसे जम्मू कश्मीर और लद्दाख में केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर विभाजित कर दिया था.