कौशलेन्द्र पाराशर /भारत के खिलाफ पड़ोसी पाकिस्तान अपनी बेजा हरकतों से कभी बाज नहीं आता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की शुरुआत करते वक्त भारत ने दुनिया को तीन संदेश दिए. एक न एक दिन पाकिस्तान को सुधार लाना ही होगा .आतंकियों का पनाहगाह देश पाकिस्तान को ये संदेश पसंद नहीं आए और वह उल्टे कश्मीर राग अलापने लगा. कश्मीर के विकास में बाधक रहे क़ानून को 5 अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने का फैसला किया था और पड़ोसी देश इसे लेकर अभी भी शोर मचाते रहता है.आर्टिकल 370 हटाने के बाद ही पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूमकर भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने की कोशिश की, लेकिन उसे कहीं से मदद नहीं मिली. अब उसने मंगलवार को भारत पर उसके पड़ोस में रचनात्मक व सार्थक संवाद के किसी भी प्रयास पर निरंतर पानी फेरने का आरोप लगाया. विदेश मंत्री जयशंकर ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दौरान भारत की तीन प्राथमिकताएं गिनाईं, जिनमें संयम की आवाज, संवाद की वकालत और अंतरराष्ट्रीय कानून का समर्थन शामिल है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अगस्त महीने की अध्यक्षता भारत के पास है. जयशंकर ने रविवार को ट्वीट किया था, ‘अगस्त के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने के साथ हम अन्य सदस्यों के साथ सार्थक रूप से काम करने के लिए उत्सुक हैं. भारत हमेशा संयम की आवाज, संवाद का हिमायती और अंतरराष्ट्रीय कानून का समर्थक रहेगा.’ कश्मीर के विकास में बाधक रहे क़ानून को पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर में निरस्त कर दिया था और उसे दो केन्द्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. भारत ने साफ कहा था कि अनुच्छेद 370 से संबंधित मुद्दा पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने सोमवार को कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है, लेकिन इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना इस्लामाबाद की जिम्मेदारी है.उन्होंने कहा था, ‘इसका समाधान एक ऐसे माहौल में किया जाना चाहिए जो आतंक, शत्रुता एवं हिंसा से मुक्त हो. इसलिए फिलहाल ऐसा माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है, जिसमें अपने नियंत्रण वाली जमीन को भारत के विरुद्ध सीमा पार आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने के लिए भरोसेमंद कदम शामिल हैं. पाकिस्तान को अपनी कथनी एवं करनी एक रखनी चाहिए और इसे साबित करना चाहिए। यही हमारा रुख है.’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल एक जनवरी को शुरु हुआ था.