सौरभ निगम की रिपोर्ट/प्रयागराज उच्च न्यायालय ने गुरुवार को डॉक्टर कफील खान को बड़ी राहत दी है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिसंबर 2019 में एक विरोध प्रदर्शन में सीएए और एनआरसी को लेकर दिए गए भाषण पर उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी है. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद शुरू की गई पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अलीगढ़) के आदेश को रद्द कर दिया है. 29 जनवरी को डॉ. कफील को यूपी एसटीएफ ने भड़काऊ भाषण के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया था. 10 फरवरी को अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने जमानत के आदेश दिए थे, लेकिन उनकी रिहाई से पहले NSA लगा दिया गया. उन पर अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप लगाए गए थे. 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ में उनके खिलाफ धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के मामले में धारा 153-ए के तहत केस दर्ज किया गया था. 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के सामने दिए गए संबोधन में धार्मिक भावनाओं को भड़काया और दूसरे समुदाय के प्रति शत्रुता बढ़ाने का प्रयास किया. तमाम तर्क सुनने के बाद जस्टिस गौतम चौधरी ने आदेश दिया कि धारा 482 के तहत दायर यह आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है और एफआईआर- 700 सन 2019, धारा 153-ए, 153-बी, 505(2), 109 आईपीसी, थाना सिविल लाइन्स, जिला अलीगढ़ मे प्रेषित आरोप पत्र स्टेट वर्सेस डॉ कफील, जो मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अलीगढ़ के न्यायालय में लम्बित है तथा इसमें पारित प्रसंज्ञान आदेश 28 जुलाई 2020 की सम्पूर्ण कार्यवाही समाप्त की जाती है.डॉ. कफील ने हाईकोर्ट से राहत मिलने पर खुशी जताई है और कहा है कि मुझे पूरा भरोसा है कि आगे भी न्याय मिलेगा. गौरतलब है कि 31 अगस्त को डॉ. कफील के सस्पेंशन मामले में भी सुनवाई है.