रामशंकर की रिपोर्ट -पटना /सुप्रसिद्ध कवियित्री, लेखिका डॉ मीना कुमारी परिहार ‘मान्या’ लगातार अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के चलते विभिन्न मंचों पर सम्मानित हो रही हैं।इसी क्रम के तहतक्षवह अब “हिन्दी सेवी सम्मान “से भी नवाजा गया है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के त्रिपुरा विश्वविद्यालय में “पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी” के द्वारा 3 से 5 फरवरी तक”राष्ट्रीय विकास सम्मेलन” का आयोजन किया गया।इस सम्मेलन में देशभर के 18 राज्यों से 70 से अधिक साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और हिन्दी सेवियों ने भाग लिया। हिन्दी के प्रचार -प्रसार और साहित्य के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान एवं समर्थन देने के लिए साहित्यकारों को*पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी शिलांग द्वारा प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। इसी क्रम में पटना, बिहार की डॉ मीना कुमारी परिहार ‘मान्या’ को हिन्दी विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए “केशरदेव गिनिया हिन्दी साहित्य सम्मान से नवाजा गया। उन्हें यह सम्मान त्रिपुरा के विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगा प्रसाद प्रसाई के करकमलों से प्रदान किया गया।उल्लेखनीय है कि डॉ मीना कुमारी परिहार’मान्या’ सरकारी और गैरसरकारी हिन्दी संस्थाओं से अब तक 500 से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वह अपनी लेखन कार्य जारी रखते हुए हिन्दी सेवा के लिए समर्पित हैं।त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में “पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी” के सचिव डॉ अकेला भाई द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय हिन्दी विकास सम्मेलन में, साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए सुप्रसिद्ध कवियित्री, लेखिका डॉ मीना कुमारी परिहार ‘मान्या’ को “केसरदेव गिनिया देवी बजाज स्मृति सम्मान”गणमान्य प्रोफेसर सत्यदेव पोद्दार और त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ गंगा प्रसाद परसाई के कर कमलों से नवाजा गया। इनके सम्मानित होने से बिहार का नाम रौशन हुआ है।इस आयोजन में देश भर के 18 राज्यों से बड़ी संख्या में साहित्यकारों, रचनाकारों, शायरों, कलाकारों ने अपनी सहभागिता दी। आयोजन में दस पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। हिन्दी विषय पर परिचर्चा, भव्य कवि सम्मेलन, मुशायरा और गीत-संगीत, नृत्य की भी प्रस्तुति हुई।