जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 31 जनवरी, 2025 ::उत्तराखंड में सोमवार (27 जनवरी, 2025) से समान नागरिक संहिता का लागू हो गई है और स्वतंत्र भारत में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। आजादी से पहले 1867 में समान नागरिक संहिता गोवा में लागू था। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। देश के संसाधनों पर सभी का समान रूप से हक है, इसलिए समान नागरिक संहिता एक स्वागत योग्य कदम है। उत्तराखंड में सोच-विचार कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पूरा करने के बाद, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू किया है।संविधान निर्माताओं ने यह सपना देखा था कि एक दिन देश में समान नागरिक संहिता पर सहमति बनेगी और उत्तराखंड ने, समान नागरिक संहिता की शुरुआत कर दी है। देश में अभी आधा दर्जन राज्य ऐसे हैं, जहां किसी न किसी चरण में समान नागरिक संहिता बनाने की कवायद चल रही है। इस संहिता की समर्थक सरकारें फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं।
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तराखंड में लागू की गयी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को भेदभावपूर्ण और पूर्वाग्रह पर आधारित बताया है, साथ ही कहा है कि इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जायेगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा किया है कि अब छत्तीसगढ़ प्रदेश में, प्रत्येक वर्ष 27 जनवरी को, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) दिवस के रूप में मनाया जायेगा।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे। वहीं नगर परिषद और नगर पालिकाओं में एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने से उत्तराखंड में लिंग, जाति, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं रहा। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत से संबंधित व्यक्तिगत कानून संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों और संरछित प्राधिकरण, सशक्त व्यक्तियों और समुदायों को छोड़ कर सब पर समान रूप से लागू हो गया है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने पर इसके तहत सर्वप्रथम पंजीकरण कराने वाले पांच आवेदकों को प्रमाण पत्र दिया गया है।
उत्तराखंड में जिन व्यक्तियों का विवाह यूसीसी लागू होने से पूर्व पंजीकृत नहीं हुआ है या तलाक की डिग्री घोषित नहीं हुई है या विवाह निरस्त हुआ हो, उनसे छह माह तक रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा।
26 मार्च, 2010 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने की तिथि के बीच हुए विवाह का, पंजीकरण छह माह में कराना होगा और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद, होने वाले विवाह का पंजीकरण, विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का लागू होने से राज्य में अब सभी धर्मों के लिए बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा गया है और बेटियों को पैतृक संपत्तियों में समान अधिकार भी दिया गया है। किसी भी धर्म के व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के जीवित रहने तक दूसरी शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जब कोई एकाधिक विवाह करता है, तो महिलाएं ही सर्वाधिक प्रताड़ित होती हैं। अब महिलाएं अपने विवाह को लेकर आश्वस्त रहेंगी।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक आदि बुराइयों को पूरी तरह से रोका जायगा। सभी धर्मों के विवाह, विरासत, भरण-पोषण और अन्य नागरिक मामलों के लिए समान नियम हो गया है। अब बेटियों को सम्पति में समान अधिकार दिए गए हैं। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद न हो, इसके लिए मृतक की सम्पत्ति पर पत्नी, बच्चें और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से महिलाओं को न्याय देने में सुविधा होगी। लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कराना अब अनिवार्य हो गया है। लिव-इन रिलेशन में रहने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगा। कपल को रजिस्ट्रार के सामने संबंध की घोषणा करनी होगी, ब्रेकअप की भी जानकारी देनी होगी। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा होने वाले बच्चों को भी संपत्ति में समान हक मिलेगा। लिव-इन रिलेशनशिप के लिए युगल की सूचना रजिस्ट्रार को, माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी। बिना सूचना दिये एक महीने से ज्यादा दिन तक लिव इन में रहने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। यदि लिव इन रिलेशनशिप के दौरान महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा। शादी का रजिस्ट्रेशन अब जरूरी होगा। 26 मार्च 2010 से हुए सभी मैरेज रजिस्ट्रेशन, छह महीने में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा अन्यथा पंजीकरण नहीं कराने पर विवाह को निरस्त माना जायेगा। विवाह पंजीकरण नही कराने पर, अधिकतम ₹25,000 का जुर्माना, सरकारी सुविधाओं से भी वंचित किया जाएगा। महिलाओं को भी पुरुषों के समान तलाक का अधिकार रहेगा। अब जायज- नाजायज बच्चों में भेद नहीं होगा।समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। वसीयत तीन तरह से की जा सकेगी। पोर्टल पर फार्म भरकर, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयत अपलोड कर या तीन मिनट के वीडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करनी होगी। यह तभी मान्य होगी।
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