असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस के प्रकाशन की आज आखिरी तारीख है। इससे पहले पूरे सूबे में कहीं बेचैनी तो कहीं गुस्से का माहौल है। इसके चलते राज्य के अधिकतर इलाकों में सरकार ने स्थिति संभालने के लिए धारा 144 लगा दी है। यूं तो एनआरसी को राज्य के मूल निवासियों और घुसपैठ कर आने वाले लोगों की पहचान के लिए जारी किया जाएगा, लेकिन ऐसे भी तमाम लोग हैं, जो पीढ़ियों से भारतीय और असम के हैं, लेकिन उनके नाम गायब हो सकते हैं। इससे पहले ड्राफ्ट में भी हजारों ऐसे लोगों के नाम नहीं थे, जिससे उनकी चिंताएं बढ़ी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तैयार किए गए नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस का एक ड्राफ्ट पिछले साल 31 जुलाई को रिलीज किया गया था। इस रजिस्टर से 40.7 लाख नाम बाहर किए गए थे। फिर 26 जून 2019 को जारी की गई अतिरिक्त सूची में यह आंकड़ा बढ़कर 41 लाख के करीब हो गया। राज्य के 3.29 करोड़ लोगों में से एनआरसी के ड्राफ्ट में 2.9 करोड़ लोगों को शामिल किया गया था। एनआरसी में जगह न पाने वाले लोगों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी।
कौशलेन्द्र