डॉ संजीव कुमार सिंह,
…और उसने बाल काटने से इनकार कर दिया!
यह बात कोई 1995-96 की होगी। श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी दिल्ली के साउथ एवेन्यू निवास में रहते थे वहां थोड़ी दूरी पर ही एक नाई की दुकान थी नाम था उसका बशीर।उसने अपने सलून में एक मस्जिद की फोटो लगा रखी थी,एक मक्का की और तीसरी दत्तोपंत ठेंगड़ी जी की।
एक दिन एक सोशलिस्ट पार्टी के सांसद बाल कटवाने के लिए वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि यह तो मुस्लिम है और ऊपर ठेंगड़ी जी का चित्र है। तो उसने उस नाई को कहा “अरे!तुमने यह क्या फोटो लगा रखा है? जानते हो यह r.s.s. वाला है तुम मुसलमानों का तो दुश्मन है इसका फोटो यहां से उखाड़ फेंको!”
यह सुनना था की बशीर ने कहा “आप बड़े आदमी होंगे,पर एक बात सुन लीजिए। यह मक्का के चित्र के साथ में लगाया है,क्योंकि यह बहुत बड़े महापुरुष हैं। जो गरीबों और मजदूरों के लिए ही जीते और मरते हैं।लेकिन तुमने मेरे आराध्य पुरुष को गाली दी है, इसलिए चाहे कुछ हो जाए अब मैं तुम्हारे बाल ही नहीं बनाऊंगा,आप जा सकते हो।”
और वह हैरान परेशान होकर लौट गया
नीचे: कल दिल्ली में श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्म शताब्दी समारोह समिति की बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षा पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा ताई महाजन हैं। उस मौके पर ‘स्वदेशी की गंगा के भगीरथ-दत्तोपंत ठेंगड़ी’ इस पुस्तक विमोचन हुआ.