वाराणसी । यह किसी चमत्कार से कम की स्थिति नहीं है कि गंगा नदी में हजारों मील दूर की सकर कैटफिश अमेजन नदी से होती हुई वाराणसी में गंगा नदी तक पहुंच गई है। खास बात यह भी है कि यह मछली काशी की गंगा नदी में बेहतर स्थिति में कुछ दिनों पूर्व बरामद हुई थी। विशेषज्ञों ने इसे अनोखी मछली मानते हुए इसकी पहचान मात्सियिकी विशेषज्ञों ने सकर कैटफिश के रूप में की है।गंगा में मिली थी अजीबोगरीब मछली.रामनगर में गंगा प्रहरी टीम के प्रदेश संयोजक दर्शन निषाद के नेतृत्व में डॉल्फिन संरक्षण जन जागरूकता अभियान के तहत गंगा नदी में मछुआरों संग निगरानी की जा रही थी। इसी दरम्यान ग्राम सूजाबाद के सामने गंगा नदी में रेस्क्यू करते समय मछुआरों के जाल में अजीबोगरीब मछली फंस गई। मछली लोगों के बीच कौतूहल का विषय बन गई हालांकि किसी भी मछुआरे ने मछली की पहचान नही की।गंगा प्रहरी टीम के प्रदेश संयोजक दर्शन निषाद ने बताया था कि जाल में फंसी मछली के सिर के नीचे मुंह है। ऊपर के हिस्सा पर आंख है और शरीर पर कांटे उभरे हुए हैं। इस मछली का रंग भी बहुत ही अलग चटख नारंगी जैसा है। जिसकी पहचान नहीं हो पा रही सकी। हालांकि उस समय इसके क्लास स्तर की मछली होने का अंदेशा जताया जताया गया था। उक्त मछली की पहचान के लिए नमामि गंगे भारत सरकार तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रुचि बडोला तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.ए हुसैन को जानकारी के लिए भेजा गया था।
सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट.