वाराणसी से सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट / आइपीडीएस यानी एकीकृत ऊर्जा विकास योजना के तहत शहर के तमाम क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था भूमिगत तो हो गई हैं, लेकिन अभी भी खंभे नहीं हटाए गए हैं। भले ही खंभों पर से विभाग ने तार तो हटा लिया है, लेकिन इसपर अभी भी अतिक्रमण बढ़ गया है। यह समस्या अब विभाग के लिए सिर दर्द बनते जा रही है। कारण कि इन खंभों पर ब्रांड बैंड, केबल आदि के तार बंधे हैं।ऐसे में अगर विभाग इसे हटाता है तो उस क्षेत्र की इंटरनेट सुविधाएं बाधित हो जाएंगी। इस मामले में बिजली विभाग ने संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया है। शहर के कई क्षेत्रों में खंभे व ओवरहेड तार रहने के कारण बिजली चोरी की खुली छूट मिल रही है। इससे एक ओर जहां ईमानदार उपभोक्ताओं की बकाए पर कनेक्शन काट दिया जा रहा हैं। वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र में बिजली चोरी करने वालों काे कर्मचारियों की ओर संरक्षण दिया जा रहा है। आइपीडीएस यानी एकिकृत ऊर्जा विकास योजना के तहत इस क्षेत्र में भूमिगत केबल भी डाल दिया गया हैं, लेकिन ओवरहेड लाइन नहीं उतारी जा रही हैं।तर्क यह दिया जा रहा है कि मुसहर बस्ती में लोग कटियामारी से बिजली का खपत कर रहे हैं। अगर ओवरहेड लाइन उतर गई तो इस बस्ती में लाइन नहीं जाएगी। मालूम हो कि दूसरे चरण के तहत शहर के सात रूट कैंट रेलवे स्टेशन, इंग्लिशिया लाइन, मल्दहिया, कचहरी, भोजूबीर, संत अतुलानंद आदि क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था भूमिगत करने का कार्य टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला था। यह कार्य दिसंबर 2019 में ही समाप्त करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर अधिकारियों ने मेहरबानी दिखाते हुए कंपनी को दिसंबर 2020 तक का समय दे दिया। हद तक तो हो गई कि एक साल समय बढ़ने के बाद भी कंपनी ने कार्य पूरा नहीं किया और मार्च 2021 तक समय मांग लिया। कचहरी क्षेत्र में खंभों पर जबरदस्त अतिक्रमण हो गया है। इससे लगता है कि तारों का संजाल बिछा है। अब कंपनी इन खंभों पर से अतिक्रमण हटाने से घबरा रही हैं।