कौशलेन्द्र पाराशर की विशेष रिपोर्ट /प्रधानमंत्री नेहरू की गलती के कारण हजारों करोड़ रुपया कश्मीर पर भारत सरकार का खर्च हुआ होगा. पाकिस्तान द्वारा ट्रेंड किए गए और चाइनीस हथियारों से लैस पाकिस्तानी कश्मीर में आकर अपनी लड़ाई लड़ते हैं. आज तक न चीन कुछ हासिल कर पाया ना पाकिस्तान. केंद्र सरकार के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि भारत संविधान का पालन करता है। यहां मस्जिदों में दुआ करते लोगों पर गोलियों और बम से हमला नहीं किया जाता। न लड़कियों को स्कूल जाने से रोका जाता है और न ही उनके सिर और पैर काटे जाते हैं।नकवी ने ये बात तालिबान के उस बयान के जवाब में कही हैं, जिसमें कहा गया था कि कश्मीर समेत दुनियाभर के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक तालिबान को है। नकवी ने तालिबान से सीधे तौर पर कहा है कि भारत के मुसलमानों को छोड़ दें, उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी ने पड़ोसी देशों को हिला दिया है। चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान भले ही तालिबान शासन को मान्यता देने की तैयारी में दिख रहे हो, पर समस्या उनकी भी कम नहीं होने वाली। बल्कि ये आगे और बढ़ेगी ही। सच तो ये है कि अफगानिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामिक सरकार का डर ही उन्हें तालिबान के करीब ला रहा है।अमेरिका की सहमति से फौजों की वापसी शुरू होते ही तालिबान पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ा। अपने आप अफगान मिलिट्री से कम लड़ाके होने के बाद भी इस संगठन ने प्रमुख शहरों और प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा किया और 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ अपनाअभियान खत्म भी कर दिया। यहां तक कि अफगानिस्तान के प्रेसिडेंशियल पैलेस पर भी इसने कब्जा कर लिया। अफगानिस्तान की सेना ने अपने हथियार डाल दिए.