कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /भारत का सबसे बड़ा दुश्मन और अमेरिका का इनामी आतंकवादी बना अफगानिस्तान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी। भारत को कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है. भारत को किसी कीमत पर तालिबान को नहीं देना चाहिए मान्यता. अमेरिका के गलत नीति के कारण अफगानिस्तान को यह दिन देखना पड़ रहा है. विश्व के सभी आतंकवादी गुट एक हैं. अमेरिका ने उस पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है।सिराजुद्दीन और उसके पिता ने 2008 में काबुल के भारतीय दूतावास पर भी हमला कराया था।शायद कम लोगों को पता होगा कि तालिबान किसी एक संगठन का नाम नहीं है। इसमें कई गुट, कई कबीले और कई धड़े हैं। हक्कानी नेटवर्क को आप इनमें से एक मान सकते हैं। अफगान तालिबान अलग है और पाकिस्तान तालिबान अलग। बस एक चीज कॉमन है। ये सभी कट्टरपंथी और आतंकी संगठन हैं जो शरीयत के हिसाब से हुकूमत चलाना चाहते हैं।तालिबान और हक्कानी नेटवर्क अपनी सुविधा के हिसाब से एक-दूसरे का इस्तेमाल करते हैं। अफगान तालिबान को सत्ता में आने के लिए हक्कानी नेटवर्क ने दिल-ओ-जान से मदद की। नतीजा सामने है। उसका सरगना अब अफगानिस्तान का होम मिनिस्टर होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो तालिबान और हक्कानी नेटवर्क एक होकर भी अलग हैं, और अलग होकर भी एक हैं।