जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 03 सितम्बर::कदम कुआं स्थित पाटलिपुत्र दिगंबर जैन समिति परिसर में भोपाल से आये पंडित प्रकाश चंद्र जैन शास्त्री ने शनिवार को दशलक्षण पर्व के चौथे दिन उत्तम सोच धर्म के संबंध में बताया कि संसार में सच्ची शुचिता तो मन की होती है और वह आती है उत्तम सोच धर्म से। उन्होंने कहा कि उत्तम सोच धर्म का अर्थ होता है शुद्धता यानि पवित्रता अर्थात बुरे विचारों का हमारे मन से दूर होना।उन्होंने कहा कि शास्त्रों में उत्तम सोच धर्म को लोभ कषाय से जोड़ा गया है और जब तक मन से लोभ का विचार दूर नहीं होगा तब तक जीवन में उत्तम सोच धर्म नही आयेगा। इसलिए जीवन में लोभ को सभी पापों का बाप कहा जाता है।शास्त्री जी ने कहा कि इसे साधारण शब्दों में भी देखा जाय तो लोभ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। लो का अर्थ लोक या संसार से है और भ का अर्थ भ्रमण से है। इसका अर्थ हुआ “संसार के कष्टों में जो भ्रमण कराए” वह लोभ है।उन्होंने कहा कि जीवन में लोभ को त्याग कर उत्तम सोच धर्म उतारने से आत्मा का कल्याण होता है और संसार के कष्टों से मुक्त होने के लिए यह आवश्यक है।