पटना, १ दिसम्बर । बिहार राष्ट्रभाषा परिषद की निदेशक रहीं विश्रुत लेखिका डा मिथिलेश कुमारी मिश्र बहुभाषा-विद विदुषी थीं। उन्हें हिन्दी और संस्कृत ही नही, पाली, प्राकृत एवं दक्षिण भारत की अनेक भाषाओं का विशद ज्ञान था। एक तपस्विनी की भाँति उन्होंने भारतीय भाषाओं की साधना की। दक्षिण भारत में उनका बड़ा ही समादर था। पं विंध्यवासीनी दत्त त्रिपाठी तो गीति-धारा के शलाका-पुरुष ही थे। अगली-पीढ़ी ने ही नहीं, उनकी पीढ़ी के भी अनेक गीतकारों ने उनसे गीत के मर्म को समझा और गीति-चेतना का परिष्कार किया। उनकी स्मृति मन को पावन करती है।यह बातें, गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह और लघुकथा-गोष्ठी की कम वय में ही मिथिलेश जी को वैधव्य का दुःख झेलना पड़ा। किंतु जीवन के कठोर अनुभवों और पीड़ा से उन्होंने सृजन के उपकरण तैयार किए और साहित्य-देवता को ही अपना पति बना लिया। जीवन-पर्यन्त उन्होंने केवल साहित्य किया और साहित्य जिया। उत्तरप्रदेश की होकर भी वो बिहार की होकर रहीं। वो वैदुष्य और सारस्वत-साधना की एक भरी हुई गगरी थी। इसीलिए उनमें किंचित भी दिखावा या प्रदर्शन नहीं था। एक दिव्य सादगी थी, साहित्य की तरह ।जबलपुर से पधारे साहित्यकार अमरेन्द्र नारायण ने डा मिश्र को ‘साहित्य-तपस्विनी’ की संज्ञा देते हुए कहा कि मिथिलेश जी की सरलता,विनम्रता और विद्वता की त्रिवेणी थीं। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, वरिष्ठ कवि और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी बच्चा ठाकुर, चंदा मिश्र, डा अशोक प्रियदर्शी, डा मुकेश कुमार ओझा, ओम् प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ , जय प्रकाश पुजारी, डा शालिनी पाण्डेय, श्रद्धा कुमारी, संजीव मिश्र तथा डा बी एन विश्वकर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में डा शंकर प्रसाद ने ‘बह गया’ शीर्षक से, डा पूनम आनन्द ने ‘चांटा’, डा पुष्पा जमुआर ने ‘वक्त की मार’, विभारानी श्रीवास्तव ने ‘विश्वास के आयाम’, सागरिका राय ने ‘मलाल’, तलत परवीन ने ‘वह कौन थी’, डा मीना कुमारी परिहार मान्या ने ‘जूते पड़ना’, प्रसाद रत्नेश्वर ने ‘बाबा’, अजित कुमार भारती ने ‘एक दुष्ट हज़ार सज्जन’ तथा अरविंद कुमार वर्मा ने “समय की बचत” शीर्षक से अपनी लघुकथा का पाठ किया। मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।समारोह में डा प्रेम प्रकाश, रामाशीष ठाकुर, विपिन भारती, नेहाल कुमार मिश्र, अश्विनी कविराज, डा चंद्र शेखर आज़ाद, राम प्रसाद ठाकुर,विकाश कुमार, अमित कुमार सिंह, विजय कुमार दिवाकर, दुःख दमन सिंह आदि उपस्थित थे।