CIN /आज संपूर्ण हिन्दी-जगत शोक के सागर में है। हिन्दी के महान समालोचक और भूपेन्द्र नारायण मण्डल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो अमरनाथ सिन्हा के निधन से साहित्य-जगत को कभी न पूरी होने वाली क्षति पहुँची है। हमने एक विद्वान प्राध्यापक, कर्मठ प्रशासक और शिखर समालोचक को खो दिया है ।बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने इसी वर्ष समालोचना की उनकी दो मूल्यवान पुस्तकों का प्रकाशन भी किया था।यह शोकोदगार बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने प्रो सिन्हा के निधन पर व्यक्त किया है। स्मरणीय है कि प्रो अमरनाथ सिन्हा का रविवार दिनांक 18/02/2024 को मुबंई में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। वे 87 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार खारघर, नवी मुंबई में सोमवार को किया जाएगा।यह जानकारी उनके एकलौते पुत्र शिशिर रंजन ने दी। वे मूल रुप से नवादा जिला के रजौली के रहने वाले थे लेकिन परिवार के साथ काफी समय से पटना के हनुमान नगर स्थित एम आई जी कॉलोनी में रह रहे थे। वे हिन्दी के एक ऐसे मनीषी आचार्य थे , जिनके साहित्य में, शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त सामग्री मिल जाती है। प्रो सिन्हा अपने साहित्यिक दायित्व के प्रति सदैव जागरूक और सतर्क रहते थे। प्रो सिन्हा ने कहा था कि उन्हें हिन्दी के विद्यार्थी और अध्यापक के रूप में अपने लम्बे जीवन में, हिन्दी के मध्यक़ालीन इतिहास का लगभग ४० वर्षों तक अध्ययन-अध्यापन का अवसर मिला।उन्हें हिन्दी जगत में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित भी किया गया था। हिन्दी जगत के लेखकों, साहित्यकारों और शिक्षा क्षेत्र के कई गणमान्य लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।