नई दिल्ली। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत ने “Ensuring Everyday Essentials: Public Services and Dignity for All” विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक तक आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं, सरकारी योजनाओं के लाभ और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस रणनीतियों पर विचार करना था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए NHRC के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमणियन ने कहा कि सिविल सेवकों की प्राथमिक जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक बिना किसी भेदभाव के पहुँचे। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार केवल संवैधानिक अधिकार नहीं बल्कि नागरिकों की गरिमा और समानता से जुड़ा मूल मूल्य है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक तंत्र को संवेदनशील और जवाबदेह बनाना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों, वंचित वर्गों और शहरी गरीबों तक बुनियादी सुविधाएँ सुगमता से पहुँच सकें। सम्मेलन में विशेषज्ञों, अधिकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया और बेहतर सेवा वितरण, डिजिटल हस्तक्षेप, पारदर्शिता और समुदाय-आधारित समाधान पर अपने विचार रखे।
NHRC ने जोर दिया कि सरकार की योजनाएँ तब ही सफल मानी जाती हैं जब अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति भी उसका लाभ महसूस करे।
— कंट्री इनसाइड न्यूज एजेंसी

























