चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज भारत पहुंच रहे हैं. नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच होने वाली ये इन्फॉर्मल बैठक तमिलनाडु के महाबलीपुरम में हो रही है. समुद्र किनारे बसे इस शहर में काफी प्राचीन मंदिर हैं, इन मंदिरों का चीन से भी पुराना रिश्ता है. यही कारण है कि महाबलीपुरम को इस समिट के लिए चुना गया है. खास बात ये भी है कि कभी महाबलीपुरम के शासकों ने चीन के साथ तिब्बत की सीमा की सुरक्षा के लिए समझौता किया था और आज पीएम मोदी उसी इतिहास को दोबारा उजागर करेंगे.महाबलीपुरम का पुराना है इतिहास.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को महाबलीपुरम के पुराने इतिहास से रुबरु कराएंगे. इस दौरान नरेंद्र मोदी उन्हें लेकर अर्जुन की तपस्या स्थली, गणेश रथ, कृष्णा बटर बॉल, पंच रथ लेकर जाएंगे और इनके महत्व को खुद ही समझाएंगे.समुद्र किनारे बसे इस शहर को पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने बसाया था. इस शहर से कभी चीनी सिक्के मिले थे, जिससे ये बात सामने आई थी कि यहां और चीन के बीच व्यापारिक संबंध थे, जो बंदरगाह के जरिए होते थे. यही कारण रहा है कि चीन और पल्लव वंश लगातार करीब आते चले गए, इसी के बाद सातवीं सदी में चीन ने महाबलीपुरम के राजाओं से समझौता किया.
दोनों के बीच हुआ ये समझौता सुरक्षा को लेकर था, जो कि तिब्बत सीमा के लिए हुआ था. चीन ने ये समझौता पल्लव वंश के तीसरे राजकुमार बोधिधर्म के साथ किया था, जिन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया और बौद्ध भिक्षु बन गए थे. यही समझौता और चीन को की गई मदद एक कारण भी बनी कि चीन में बोधिधर्म को सम्मानित दर्जा प्राप्त है.
संजय कुमार