निखिल दुबे, संवाददाता -पंजाब
मंगलवार, 12 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की जयंती और कार्तिक मास की पूर्णिमा भी है। ये दिन सिख और हिन्दू धर्म के लिए बहुत खास है। इस साल गुरुनानक की 550वीं जयंती है। सिख श्रद्धालु इस दिनसभी गुरुद्वारों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर दुनियाभर के प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है। यहां देश-विदेश से हर धर्म के लोग पहुंचते हैं और पूरी आस्था के साथ सिर झुकाते हैं। इसे हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है।सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 550वीं जयंती 12 नवंबर को है। हिन्दी पंचांग में बताया गया है कि गुरुनानक देव जी का जन्म संवत् 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। जबकि इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार गुरुनानक का जन्म 1469 में हुआ था। सिख इस दिन को प्रकाश पर्व के तौर पर मनाते हैं।प्रकाश पर्व या प्रकाशोत्सव के तौर पर मनाए जाने वाले इस पर्व में जहां पंज प्यारे और सेवादार शहरभर में शानदार जुलूस निकालते हैं, वहीं मोबाइल युग की जनता गुरु पर्व की बधाइयां व्हाट्सएप, मैसेज और स्टेटस के जरिए दोस्तों और जानने वालों को शेयर कर रही है। आजकल सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा व्हाट्सएप स्टीकर। इसके अलावा विशेज, कोट्स और मैसेज के जरिए लोग गुरुवाणी, गुरु ग्रंथ साहेब की खास पंक्तियां और गुरुनानक के उपदेश भी शेयर कर रहे हैं।
उनके अनुयायी उन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह जैसे कई नामों से संबोधित करते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे जाकर शबद-कीर्तन और लंगरों का आयोजन करते हैं। गुरु नानक देव जी ने लोगों को अच्छा जीवन जीने के लिए कुछ खास मूल मंत्र दिए थे। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं वो मूल मंत्र।
-कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है, रब सिर्फ लकीरे देता है रंग हमको भरना पड़ता है।
-दूब की तरह छोटे बनकर रहो ! जब घास-पात जल जाते है तब भी दूब जस की तस रहती है।
-जिस व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं है वो कभी ईश्वर पर भी पूर्णरूप से कभी विश्वास नहीं कर सकता।
-ये पूरी दुनिया कठनाइयों में है। वह जिसे खुद पर भरोसा है वही विजेता कहलाता है।
-केवल वही वाणी बोलों जो आपको सम्मान दिलवा सके।
-अहंकार द्वारा ही मानवता का अंत होता है। अहंकार कभी नहीं करना चाहियें बल्कि ह्रदय में सेवा भाव रख जीवन व्यतीत करना चाहियें।
-सांसारिक प्रेम की लौ जलाओ और राख की स्याही बनाओ, हृदय को कलम बनाओ, बुद्धि को लेखक बनाओ, वह लिखो जिसका कोई अंत या सीमा नहीं है।
-जब शरीर गंदा हो जाता है तो हम पानी से उसे साफ कर लेते हैं। उसी प्रकार जब हमारा मन गंदा हो जाये तो उसे ईश्वर के जाप और प्रेम द्वारा ही स्वच्छ किया जा सकता है।
-धन को जेब तक ही रखें उसे ह्रदय में स्थान न दें। जब धन को ह्रदय में स्थान दिया जाता है तो सुख शांति के स्थान पर लालच, भेदभाव और बुराइयों का जन्म होता है।