दो महीने से अधिक हो गए है लेकिन आपदा के समय बिहार सरकार की किसी भी बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री नहीं दिखे। शायद बिहार में विरले ही लोग जानते है कि आपदा मंत्री कौन है लेकिन विभाग के चंद विशेष बाबुओं को “अतिविशिष्ट योग्यता” के कारण सब जानते है। देश में सबसे अधिक श्रमिक संकट बिहार में है, लाखों श्रमवीर परेशान है, 40 से अधिक मज़दूर भूख और दुर्घटना में मारे जा चुके है लेकिन बिहार के श्रममंत्री ड़र के मारे बैठकों से ग़ायब है। अगर उन्हें बैठकों में जाने से कोरोना संक्रमण का ड़र है तो ऐसे मंत्री को तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए।
विपदा प्रबंधन संबंधित विभागों जैसे श्रम और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बैठकों से ग़ायब है लेकिन ग़ैर-संबंधित विभागों के मंत्री कथित समीक्षा बैठकों में हर समय मौजूद रहते है। नेता प्रतिपक्ष के नाते हम पूछना चाहते है कि संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री विपदा के समय ऐसी महत्वपूर्ण बैठकों से क्यों ग़ायब रहते है? क्या भाजपा कोटे के ऐसे सभी मंत्री नकारा है इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें पूछते ही नहीं और अधिकारियों को सीधे निर्देश देते है? या फिर क्या उन मंत्रियों के मुख्यमंत्री आवास में जाने से वहाँ संक्रमण फैलने का डर है?
ऐसी क्या रहस्यमयी बात है जो जनता से छिपायी जा रही है?
शैलेश तिवारी, पोलिटिकल एडिटर