प्रिय बिहारवासियों,
आज पिता जी से उनके अवतरण दिवस पर मिलने राँची आया हूँ। उनके जन्मदिवस पर अलग-अलग तरह के भाव मन में आ रहें हैं। मन थोड़ा व्यथित है कि वो हमसे दूर अकेले संघर्ष कर रहें है, और थोड़ा सशक्त भी क्यूंकि उनका जन्मदिन मुझे और अधिक प्रेरणा देता है उनकी तरह ही मुखरता से गरीब, गुरबों, शोषित, पीड़ित, उपेक्षित और वंचितों की लड़ाई बिना सिद्धांतों से समझौता किए लड़ूँ।
अपने पिता के जीवन की यात्रा पर जब भी नज़र डालता हूँ , ऐसा लगता है क्या अद्भुत और बिरला जज्बा लिए हैं। आदरणीय लालू जी, ऊंच-नीच के विरुद्ध लड़ाई लड़े, बिहार की तमाम सामाजिक विसंगतियों को ख़त्म किया। गरीब के हक़ का झंडा बुलंद किया और चाहे कितनी भी विषम परिस्थिति आई, कभी घुटने नहीं टेके, कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
विषम हालात अच्छे-अच्छों को तोड़ देते हैं, षड़यंत्र व समर्पण करने को मजबूर कर देते है। वर्षों का दुष्प्रचार इंसान का आत्मविश्वास छीन लेता है लेकिन ये भी अनुकरणीय है कि विषम हालात, अनगिनत षड़यंत्र और लगातार दुष्प्रचार भी लालू जी के हौसले को तोड़ नहीं पाए, उनके सिद्धांतों को झुका नहीं पाए, जनसेवा के लिए समर्पित उनके क़दमों को रोक नहीं पाए अपितु उनके हौसलों को मजबूत ही किया।
वो लड़ रहे हैं आज भी, बिना थके , बिना झुके ….. और मुझे गर्व है कि बिहार के लोगों के हक़ के लिए उनकी इस लड़ाई में मैं भी भागी बना हूँ, इसलिए आज उनके जन्मदिन पर में यह प्रण लेता हूँ कि बिहार के युवाओं और गरीबों को हर हालत में न्याय दिला कर रहूँगा। बस ….. बहुत हो चुका जातिवाद, सम्प्रदायवाद, बहुत हो चुकी चुकी बीमारी के दौरान फैली अव्यवस्था से मौतें, बहुत देख ली गरीब ने रोटी की भूख, बहुत रह लिया हमारा युवा बेरोजगार, बहुत सह लिया हमारे भाइयो ने, उनके परिवारों ने पलायन का दर्द, कुशासन ने छिन ली बहुत जानें, सड़कों पर बहुत बेहाल हो चुका बिहारी ….. सरकार ने 15 साल राज करते-करते बहुत ठीकरा फोड़ लिया दूसरों पर….. अब और नहीं होने दूंगा ….. भुखमरी से, अपराध से, अव्यवस्था से , अन्याय से अब जान नहीं खोने दूंगा।
आज पिता जी के 73वें जन्मदिन पर हम कम से कम 73000 गरीबों को खाना खिलाएंगे, उनके माथे से चिंता हटाएंगे और फिर पिता की प्रेरणा से ही बिहार को इस कठिन समय से निजात दिलाएंगे।
लालू जी की प्रेरणा से जो कदम बिहार की सेवा के लिए चल पड़े हैं …. वो कदम रुकेंगे नहीं, कभी थकेंगे नहीं.
कौशलेन्द्र पाण्डेय, प्रबंध संपादक.