वाशिंगटन.अमेरिका (US) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने रविवार को कहा कि उन्हें कभी ऐसी कोई जानकरी नहीं दी गई जिसमें कहा गया हो कि रूस (Russia) तालिबान (Taliban) के जरिए अमेरिकी सैनिकों का क़त्ल करा रहा है. उधर रूस ने भी इस तरह के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है, रूस ने इसे अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों का प्रॉपगैंडा करार दिया है. अमेरिका में रूसी दूतावास ने कहा है कि इन दावों से उसके राजनयिकों पर ख़तरा पैदा हो जाएगा. वहीं तालिबान ने भी इस आरोप को ख़ारिज किया है और कहा है कि उसने रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी से ऐसा कोई सौदा नहीं किया था.बता दें कि अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट थी कि रूसी सैन्य ख़ुफ़िया यूनिट ने पिछले साल इसके लिए पैसा दिया था. इसी यूनिट पर यूरोप में जानलेवा हमले की कोशिशों के आरोप लगे थे. अधिकारियों ने बताया कि ‘खबर प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि लंबे समय से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए जारी शांति वार्ता के बीच रूसी सैन्य खुफिया इकाई गुप्त रूप से तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों सहित गठबंधन सेनाओं को निशाना बनाने पर इनाम देने की पेशकश कर रही हैं. मीडिया संस्थानों ने भी इसी तरह की खबर दी और बताया कि ट्रंप को इस पूरे मामले से अवगत कराया गया है.ट्रंप बोले- मुझे जानकारी नहीं.ट्रंप ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘किसी ने भी मुझे जानकारी नहीं दी है या उप राष्ट्रपति माइक पेंस या चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मिडोज को कथित तौर पर अफगानिस्तान में हमारे सैनिकों पर रूसियों के हमले की जानकारी नहीं दी है जैसा कि फर्जी खबर सूत्रों के हवाले से दी गई है.’ उन्होंने कहा ‘सभी इसका खंडन कर रहे हैं और हम पर कई हमले नहीं हुए हैं. ट्रंप प्रशासन के अलावा कोई रूस के प्रति इतना सख्त नहीं रहा है.’ अमेरिकी की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने महीनों पहले यह पता लगाया था कि रूस की जीआरयू सैन्य ख़ुफ़िया एजेंसी की एक यूनिट ने अपने विरोधियों को अस्थिर करने के मक़सद से गठबंधन सेनाओं पर छिपकर हमले करने के लिए पैसा दिया था.20 सैनिकों की हुई थी मौत.2019 में अफ़ग़ानिस्तान में 20 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई थी लेकिन साफ़ नहीं है कि कौन-सी मौत संदेह के दायरे में है. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इस पर विचार किया था कि इसका जवाब कैसे दिया जाए और इसमें रूस पर प्रतिबंध बढ़ाने जैसे उपाय शामिल थे. रूस की जीआरयू एजेंसी पर मार्च 2018 में इंग्लैंड के सेलिसबरी में रूस के डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर नर्व एजेंट के ज़रिए मारने की कोशिश करने का आरोप लगा था.हालांकि तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, “हम इससे भी कई सालों पहले हत्या की कोशिशें करते थे या किसी को निशाना बनाते थे और वो हम अपने संसाधनों से करते थे.” उन्होंने कहा कि तालिबान ने अमरीका और नाटो सुरक्षाबलों पर फ़रवरी के बाद हमले रोक दिए थे क्योंकि तब प्रतिबंध हटाने और सेनाओं को हटाने पर सहमति बनी थी.बाइडेन ने की निंदा.डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार माने जा रहे जो बाइडेन ने एक रिपोर्ट को लेकर शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर यह खबर सच्ची है तो इसमें कमांडर इन चीफ ट्रंप और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की रक्षा करने में उनकी नाकामी के बारे में ‘हैरान करने वाले खुलासे’ हैं. बाइडेन ने एक डिजिटल टाउन हॉल के दौरान कहा, ‘यह पूरी तरह से हैरान करने वाला खुलासा है और मैं फिर कहता हूं कि क्या अमेरिकी सेना के कमांडर इन चीफ राष्ट्रपति ट्रंप पहले से ही यह बात जानते थे और उन्होंने कुछ नहीं किया.’ व्हाइट हाउस ने बताया कि न तो ट्रंप और न ही उपराष्ट्रपति माइक पेंस को इस खुफिया सूचना की जानकारी दी गई.पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के इस गंभीर उल्लंघन के लिए वह न केवल रूस पर प्रतिबंध लगाने में नाकाम रहे बल्कि डोनाल्ड ट्रंप ने व्लादिमीर पुतिन के सामने झुकने के अपने शर्मनाक अभियान को जारी रखा.’ उन्होंने कहा कि सेना में काम करने वाले अमेरिकी अपनी जान लगा देते हैं. उन्होंने कहा, ‘लेकिन उन्हें कभी ऐसे खतरे का सामना नहीं करना पड़े जिस पर उनके कमांडर इन चीफ ने उन पर इनाम रखने वाली किसी विदेशी ताकत के सामने आंख मूंद रखी हों। मैं इस रिपोर्ट से बेहद गुस्सा हूं.’ बाइडेन ने वादा किया कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो ‘पुतिन का सामना किया जाएगा और रूस पर गंभीर प्रतिबंध लगाए जाएंगे.’
धीरेन्द्र की रिपोर्ट.