केंद्र सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ देश में हो रहे किसान आंदोलन के राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के समर्थन में वाम जनवादी संयुक्त मोर्चा की ओर से-6 फरवरी को निरसा में प्रतिरोध मार्च व चक्का जाम किया गया।वक्ताओं ने कहा कि केंद्र के मोदी सरकार ने देश के मजदूर-किसानों के साथ तानाशाही रवैए अपनाएँ हुए है।पहले तो देश के सार्वजनिक संस्थानों को निजीकरण के माध्यम से निजी मालिकों के हाथों में देने का रास्ता साफ कर दिया है।अब कृषि क्षेत्र में किसान विरोधी बिल लाकर देश के कृषि क्षेत्र को भी निजी मालिकों के हाथों में देना चाह रहा है जिसके खिलाफ देश में हो रहे किसान आंदोलन को तानाशाही तरीके से कूचलना चाह रहा है।पहले तो देश के किसान आंदोलन को रोकने के लिए कड़ाके के ठंड में पानी के बौछार,आंसू गैस के गोले,लाठी-डंडे से डराने का काम किया।इसके बावजूद किसान आंदोलन नहीं रूका तो किसानों को खालिस्तानी,आतंकवादी,टुकड़े टुकड़े गैंग,विदेशी पूँजी पर चलने वाला आंदोलन बताने लगा।
अब किसानों के धरना स्थल क्षेत्रों में बिजली-पानी रोका इंटरनेट काटा गया।धरना स्थल को कांटेदार तारों से घेराबंदी,लोहे के किले लगाना व नहरनुमा गढें खूदवाकर सरकार किसानों को विदेशी दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।केंद्र सरकार इस तानाशाही रवैए का विरोध देश-विदेश में हो रहे हैं लेकिन सरकार अपने कुछ काॅर्पोरेट घरानों के डर के कारण कृषि बिल वापसी के लिए तैयार नहीं हैं।यह केंद्र सरकार के द्वारा घोषित रूप से लोकतंत्र व संविधान पर हमला है।इसलिए देश लोकतंत्र पसंद लोगों को लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आना होगा और केन्द्र सरकार को उखाड़ फेंकना होगा।इस अवसर पूर्व विधायक अरूप चटर्जी,उपेन्द्र सिंह,आगम राम,गणेश भर,मो,डी एन यादव,लखी सोरेन,नागेन्द्र कुमार,बादल बाउरी,जियाउल हुसैन,हरेन्द्र,कार्तिक दत्ता,अजीत मिश्रा,मनोरंजन मलिक,दिलमोहमद,जगदीश शर्मा,आस्तिक बाउरी,टुनटून मुखर्जी,कपिलदेव प्रसाद,जितेन्द्र शर्मा,मुमताज अंसारी,रामलखन राय,मो मुस्ताक, गणेश6 महतो,अर्जुन भूईया,मनोज महतो,सुबल टुडू,कविता दे,चिंता देवी,सुशीला देवी,मंजू रवानी,अंजू चटर्जी,मैनका मंडल,आशा देवी,समसुदीन अंसारी,पीएल मुर्मू,सतेन्द्र चौहान व सेंकड़ो लोग शामिल थे।
उमर फारूक की रिपोर्ट.