चीफ सब एडिटर -प्रिया सिन्हा /चिराग पासवान ने पशुपति पारस को सदन में पार्टी के नेता के रूप में मान्यता देने संबंधी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख कर लिया था। हालांकि, अदालत ने उनकी यह याचिका अब खारिज कर दी है। वहीं, पारस ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी व चिराग ने भी इसका विरोध किया था।
दूसरी ओर, पासवान की इस याचिका को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने यह कहा कि – ‘मुझे इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा।’ उल्लेखनीय है कि अदालत इस मामले में चिराग पासवान पर जुर्माना भी लगाना चाहती थी लेकिन उनके वकील के अनुरोध करने के बाद उसने ऐसा नहीं किया।
गौरतलब है कि इस याचिका में लोकसभा में जन लोकशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता के रूप में पशुपति कुमार पारस का नाम दिखाने वाले अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया गया था और इसमें यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि चिराग पासवान का नाम सदन में पार्टी के नेता के रूप में दिखाते हुए एक शुद्धिपत्र जारी किया जाए।
यही नहीं, इस याचिका में यह बात साफ कही गई थी कि – ‘लोकसभा में नेता का परिवर्तन पार्टी विशेष का विशेषाधिकार है और वर्तमान मामले में, संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत याचिकाकर्ता संख्या 2 (पार्टी) को यह अधिकार प्राप्त होता है कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड यह तय करेगा कि सदन या विधानसभा में नेता, मुख्य सचेतक आदि कौन होगा।’
बताते चलें कि पशुपति पारस पूर्व में लोजपा की बिहार इकाई का नेतृत्व करते थे और वर्तमान में इसके अलग हुए गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पारस ने 1978 में अपने पैतृक जिले खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के विधायक के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी और इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले दिवंगत रामविलास पासवान ही किया करते थे।