जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (मुंगेर), 06 सितम्बर ::मुंगेर मध्य विद्यालय हेमजापुर में शिक्षक दिवस के अवसर पर उच्च विद्यालय सुंदरपुर के 1998 बैच के छात्रों द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी, मुंगेर नवीन कुमार ने कहा कि शिक्षक समाज को उत्थान की ओर ले जाते हैं। बच्चों के भविष्य निर्माता है और सदैव पूजनीय हैं। शिक्षकों को भी अपने दायित्व का पालन ईमानदारी पूर्वक करना चाहिए।समारोह में विशिष्ट अतिथि एसडीपीओ, मुंगेर नंद जी प्रसाद ने कहा कि नशा एवं व्यसन छात्रों को अपराध की ओर उन्मुख करते हैं। इस दिशा में शिक्षक को बच्चों में कर्तव्य वोध का ज्ञान भी विकसित करना चाहिए।समारोह में लखीसराय और मुंगेर जिले के 20 से अधिक शिक्षकों को शिक्षकों को सम्मानित किया गया।उक्त अवसर पर 1998 बैच के छात्र रहे आईवीएफ चिकित्सक डा. दयानिधि व पुलिस विभाग के दीपक कुमार ने उच्च विद्यालय सुंदरपुर बैच की तरफ से मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि व शिक्षकों में अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, रामगुलाम प्रसाद सिंह, सावित्री देवी, कमलेश्वरी प्रसाद सिंह, शिव किशोर प्रसाद सिंह, छोटन महतो, अनिमेष कुमार, नरेन्द्र कुमार, रामगुलाम महतों, उमेश कुमार सिंह, चंदचूड़ सिंह, भंडारी प्रसाद, शंकर महतो, चंद्रकला देवी, गया देवी, कमलेश्वरी महतों, सुनयना देवी, शंकर प्रसाद, दरोगी महतो, देवदत प्रसाद को शाल व मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया।उच्च माध्यमिक विद्यालय हेमजापुर की दशम वर्ग की छात्रा संगीता कुमारी, कोमल कुमारी, नंदनी कुमारी व साक्षी कुमारी ने स्वागत गीत का गायन किया।समारोह को सम्बोधित करते हुए आईवीएफ चिकित्सक डा. दयानिधि ने कहा कि शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।सेवानिवृत अभियंता और समाजसेवी उमेश मंडल ने कहा कि भारत में प्राचीन समय से ही गुरु और शिक्षक की परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खुबसूरत दुनिया में लाते हैं। उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते, लेकिन जिस समाज में रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जीने का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्त्व यहीं समाप्त नहीं होता, क्योंकि वह ना सिर्फ़ विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उसके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है। इस लिए शिक्षकों में ज्ञान का भंडार होने के साथ-साथ नैतिक गुणों का समावेश भी होना जरुरी है |सूत्रों के अनुसार, हेमजापुर ओपी प्रभारी रिंकू रंजन ने कहा कि शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत और अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।उक्त अवसर पर सम्मानित होने वाले शिक्षक में देवदत्त प्रसाद, अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, रामगुलाम प्रसाद सिंह, सावित्री देवी, कमलेश्वरी प्रसाद सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से अपने काम के बदले सम्मान किसी को मिलता है, खुशी तो होती है। इस से ज्यादा खुशी तब होती है जब हमारे मिहनत अनुभव और प्रयास से कोई छात्र पढ़ कर डाक्टर, इंजीनियर के साथ अन्य क्षेत्रों में अपने परिवार समाज और देश का नाम रौशन करता है।शिक्षक देवदत्त प्रसाद ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमने जो अपने ज्ञान के पेड़ लागाये थे, आज डाक्टर, इंजीनियर के साथ अन्य क्षेत्रों में अपने नाम के साथ देश का नाम भी रौशन कर रहे हैं और समाज सेवा भी कर रहें हैं। यह जान-सुन कर खुशी मिलती है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है।समारोह में मंच संचालन करते हुए त्रिभुवन चौधरी ने “तुझे सूरज कहूं या चंदा… गीत गाकर अतिथियों का मनोरंजन किया।कार्यक्रम में उच्च विद्यालय सुंदरपुर के 1998 बैच के लगभग सभी छात्र सहित हेमजापुर ओपी प्रभारी रिंकू रंजन, रधुवर कुमार, प्रभात, प्रवीण, मंधिर, रामचंद्र, वरूण, नटराज, रूपेश, शिवजी, कन्हैया, अमर, विरेन्द्र, प्रदीप, रंजीत कुमार उपस्थित थे।