पटना: डॉक्टर अनिल सुलभ – अध्यक्ष बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की कलम से “महिला दिवस” के अवसर पर /मेरी दृष्टि में वर्ष का प्रत्येक दिवस महिलाओं का दिवस है, क्योंकि वे ही परिवार और समाज की धुरी हैं! भले ही नर-पशु अपने देह-बल के अहंकार में कोमल-मन स्त्रियों को सताते हों, किंतु उन्हें भी किसी नारी की गोद में ही विश्राम मिलता है । मैं तो स्त्री को, विधाता द्वारा अपनी सुख-निद्रा में छोड़े गए उच्छ्वास से रचित मानता हूँ। ब्रह्मदेव ने आनन्द की गहन निद्रा में जो साँसे छोड़ी होंगी, उससे नारी रूपी जननी और प्रेम का जन्म हुआ होगा। स्त्री ईश्वर की ओर से पृथ्वी को दिया गया अद्वितीय वरदान है। मैं सोंचता हूँ तो लगता है कि यदि स्त्री न होती तो क्या यह पृथ्वी रहने योग्य होती भी ? “महिला दिवस” की हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएँ! सभी महिलाएँ अपनी आंतरिक और दिव्य शक्तियों की अनुभूति करें, समस्त हीन-भाव से मुक्त हो जीवन को आनन्दमय, मूल्यवान और कल्याणी बनाएँ ! बधाई और नमन ! नमन जननी, जगत तारिणी को ! नमन प्रिया सखी बल-दायिनी को ! नमन प्रकृति वसुंधरा को.