कौशलेन्द्र पाराशर पटना से / बापू सभागार में आयोजित परशुराम जयंती समारोह में शामिल हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव.तेजस्वी ने कहा -भगवान परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया और ईद की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए हमने कहा कि जब हम समाजवाद और सामाजिक न्याय की बात करते है तो यह सबको इन्क्लुडे करने और साथ लेकर चलने का सिद्धांत, नीति और विचार है। सामाजिक न्याय का का मतलब किसी को एक्सक्लुडे करने का नहीं बल्कि सबको साथ लेकर आगे बढ़ने का है।अगर हम सबकी बराबरी, समता, समानता, संपन्नता और बेहतरी की बात करते है तो क्या यह गलत है? नहीं ना?? क्या ग़रीबों और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए संघर्ष करना गलत है? गरीबी हर जाति धर्म में है। क्या गरीबी-बेरोजगारी हटाना जातिवाद है? क्या गरीबी हटाना देशभक्ति और राष्ट्रवाद नहीं है?बताइए ज़रा, बिहार के पास किस चीज़ की कमी है? हमारे पास मेधा है? प्रतिभा है? मेहनत है? सबसे अधिक मानव संसाधन है। लेकिन कमी सिर्फ़ विश्वास और संवाद की है।अगर सब जाति/धर्म के लोग ठान लें कि बिहार को नंबर-1 बनाना है तो किसी माई के लाल में दम नहीं कि बिहार और बिहारियों को रोक दें। याद रखिए- एकता में ही शक्ति है।हमारी कोशिश है कि सब भाई साथ चले और बिहार को भी अन्य राज्यों की तरह विकसित बनायें। ब्राह्मण-भूमिहार समाज जागरूक है। ज्ञान और शिक्षा का प्रतिबिंब है। देश-प्रदेश में इतनी महंगाई, बेरोज़गारी और गरीबी व्याप्त है। आप लोग भी बीड़ा उठा लीजिए – यक़ीन मानिए सफलता मिलेगी।देश में एक विचित्र क़िस्म का नैरटिव गढ़ा जा रहा है कि हिंदू खतरे में है। बताइए भला? हमारी कितने पुरखे और पुश्तें इस मिट्टी में रची और बसी है और ये हमें खतरे में बता रहे है। खतरे में इनकी कुर्सी है। प्रधानमंत्री , , सभी मुख्यमंत्री , तीनों सेनाओं के अध्यक्ष, राष्ट्रपति, सभी अर्ध सैनिक बलों के प्रमुख, सब हिंदू है लेकिन फिर भी खतरे में है। भाजपा और सांप्रदायिक सोच के लोग असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहते है। लेकिन आप लोगों को मुद्दों पर टिके रहना है।हम समावेशी, सकारात्मक और प्रगतिशील राजनीति करते है। जिसमें सबका सहयोग और हिस्सेदारी रहे। हम पोजेटिव , प्रोग्रेसिव और साइंटिफिक सोच के व्यक्ति है। हम सबने साथ बढ़ना है अन्यथा बिहार पीछे रह जाएगा। मैं चाहता हूँ कि हम सब एकता और ज़िम्मेवारी के साथ बिहार को आगे बढ़ाए। आपका साथ रहा तो हम आर्थिक न्याय करेंगे। आर्थिक न्याय में सबका भला निहित है। जो पीछे छूट गए है उन सभी को साथ लेकर अब आगे बढ़ने का समय है।