जितेन्द्र कुमार सिन्हा, वरिष्ठ संपादक /डिजिटल युग में कई सारे परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लोगों की मांग और आवश्यकता के अनुसार से सुख-सुविधा भी उपलब्ध हो रहा है। लोग प्रोडक्ट और सर्विसेज देख कर उसका उपयोग करते हैं और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं। समय के साथ लोगों की जरूरत एवं मांग का दायरा भी बढ़ रहा है।आज कल लोग प्रोडक्ट देख कर ऑडर करते हैं तथा सर्विसेज का उपयोग कर रहे हैं और उस सर्विसेज का मांग करते हैं। उसी तरह से ऐसा प्रोडक्ट और सर्विसेज जिसका फिजिकल एग्जिस्टेंस नहीं है उसे सांकेतिक, ग्राफिक्स या अनुमान के तौर पर देखा जाता था। आज हम डिजिटल युग में उसे लाइव देख सकते हैं तथा उसी के अनुरूप अपना निर्णय ले सकते हैं।आईटी के क्षेत्र में एक दशक से कार्य कर रहे तथा इसके एक्सपर्ट सम्यक का कहना है कि आज कल का कॉन्सेप्ट है -“जो दिखता है, वो बिकता है”आपका प्रसेंटेशन अगर वैसा ही है जैसा वह कार्य अथवा योजना या प्रोजेक्ट धरातल पर होने वाला है तो लोगों की विश्वास जगती है और उसे लेने के लिए सरकार व प्राइवेट कंपनी को निर्णय लेने में सुविधा होती है।विजुअल इफेक्ट्स 3 डी के रूप में होता है। घर में उपयोग करने वाले वस्तु से लेकर पूरी घर का 3 डी, डिजिटल लाइव देखा जा सकता हैं, जैसे घर में कौन सा सामान कहां रखा जाएगा, कितने तरह के होंगे, कलर कैसा होगा, बगीचा, पार्किंग आदि का प्री लाइव, प्रिंट और स्कल्चर आदि।इसके फॉर्मेट के संबंध में एक्सपर्ट सम्यक का कहना है कि यह तीन फॉर्मेट में बनाया जाता है। पहला की लाइव पिक्चर के रूप में जिसमें आप 3 डी चित्र के रूप में स्पष्ट और बारीकी से देख सकते हैं, दूसरा एनिमेटेड रूप, इसमें चल चित्र, या शॉर्ट फिल्म में सब कुछ स्पष्ट रूप से देख सकते हैं तथा तीसरा मूर्ति या स्कपचर रूप में आप देख सकते हैं। जो कि एक शीशा के आकार में या मूर्ति के रूप में पूरे प्रोजेक्ट को बारीकी से देख सकते हैं।सबसे बड़ी बात है कि तकनीकी दृष्टिकोण से तो उपयोगी है ही, साथ ही साथ आम लोग जो तकनीकी दृष्टिकोण से अलग देखना चाहते हैं वो पिक्चर के रूप में अपनी परिकल्पना देख सकते हैं, उनके लिए तो यह बहुत ही उपयोगी है, कि वह खुद देख कर सब कुछ समझ सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं।एक्सपर्ट का कहना है कि छोटी आवश्यकता के लिए तो यह उपयोगी है ही, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट जैसे फैक्ट्री, पथ निर्माण, न्यू सिटी का विकास करना आदि में भी बहुत ही उपयोगी है। इसका लाइव पहले ही देख सकते हैं तथा उसपर उचित निर्णय ले सकते हैं।आईटी एक्सपर्ट अपने कर्मकांडी उद्यम के माध्यम से हमेशा कुछ नया करते हैं जैसे कि वर्चुअल ट्रायल रूम का प्रयोग करना आदि। साथ-साथ समाज को हमेशा कुछ देते रहते हैं। अभी हाल ही में दिल्ली में कई जगह स्वचालित पैड मशीन लगवाए हैं जिसमें बटन दबा कर पैड निकाल सकते हैं। अब इस योजना को पटना और दरभंगा में भी लाने के लिए प्रयासरत हैं।सम्यक का कहना है कि मेरे पास वर्क है मैं लगातार उसपर काम भी कर रहा हूं। अब मैं एक विकास का मॉडल सरकार के माध्यम से अपने बिहारबासी को देना चाहता हूं। हो सकता है वह रोड से जुड़ा हो, और गांव का मॉडल हो।एक्सपर्ट का मानना है कि एक 3 सेट का मॉडल बनाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च आता है तथा आईटी स्किल्ल, मूर्ति विशेषज्ञ आदि की आवश्यकता होती है तब जाकर यह कार्य पूरा हो पाता है।