पटना, २ दिसम्बर । “अंग नहीं तो क्या ग़म है, हम किसी से क्या कम हैं! —– “दया नहीं अधिकार चाहिए! हमें थोड़ा सा प्यार चाहिए।” ——- “पेंशन की राशि पाँच हज़ार करें”—- आदि नारों के साथ आज विकालांग जनों ने नगर में जागरूकता रैली निकाली। यह रैली विश्व विकलांग दिवस की पूर्व संध्या पर, इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर तथा बिहार विकलांग अधिकार मंच के तत्त्वावधान में, बुद्ध स्मृति उद्यान, स्टेशन रोड से आरंभ हुई और बापू सभागार, गांधी मैदान के निकट सभा के रूप में संपन्न हुई। संस्थान के निदेशक प्रमुख डा अनिल सुलभ, वरिष्ठ समाजसेवी पद्मश्री विमल जैन तथा डा दिवाकर तेजस्वी ने रैली को हरी झंडी दिखाकर विदा किया।सभा की अध्यक्षता करते हुए डा सुलभ ने कहा कि पिछले एक दशक में विकलांगता की समस्याओं और चुनौतियों की ओर सरकार और समाज का ध्यान तेज़ी से बढ़ा है, फिर भी इसका सामना करने की आवश्यक तैयारी नहीं हो पायी है। बिहार में विकलांग जनों को वैज्ञानिक ढंग से चिन्हित करने का कार्य नहीं हो पा रहा है। जब तक यह नहीं होगा तबतक इस दिशा में कोई भी कार्य सही दिशा में नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है कि राज्य सरकार अलग से ‘विकलांगता निवारण और पुनर्वास विभाग’ सृजित करे। जब इसके लिए अलग से मंत्री, प्रधान सचिव एवं अन्य अधिकारी होंग़े तो अवश्य ही इस दिशा में तेज़ी से और गुणात्मक परिवर्तन संभव हो सकेगा।सुख्यात नेत्रहीन दिव्यांग और बिहार नेत्रहीन परिषद के सांस्थापक महासचिव डा नवल किशोर शर्मा ने कहा कि राज्य में विकलांग आयोग का गठन भी शीघ्र किया जाना चाहिए। विकलांगता आयुक्त के पद पर विशेषज्ञ विकलांगों में से किसी योग्य व्यक्ति को स्थान मिलना चाहिए।विकालांग अधिकार मंच के अध्यक्ष और वरिष्ठ दिव्यांग डा सुनील कुमार सिंह ने कहा कि विकलांगों को मिलने वाले पेंशन की राशि बहुत ही कम है, इसे भी बढ़ाकर कमसेकम पाँच हज़ार किया जाना चाहिए।सभा को पटना विश्वविद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक एवं दिव्यांग प्रो सतीश कुमार, राणा रणवीर सिंह, भरत कौशिक, मधु मंजरी तथा इंद्रदेव कुमार ने भी संबोधित किया।रैली में दिव्यांग नवीन कुमार झा, मंजू सिन्हा, कुमारी जूही सिन्हा, सीताराम पटियाला, आलोक कुमार, गनौरी राय, राकेश पटेल, मो सुल्तान,उमेश शर्मा, प्रो कपिलमुनि दूबे, सूबेदार संजय सिंह, डा स्निग्धा वर्मा, मधुमाला कुमारी, चंद्र आभा, रजनीकांत, करुणानिधि, रवींद्र प्रजापति,मृत्युंजय, सुनील, लक्ष्मी, गौतम, नीतीश, मनोज, संजीव, समेत बड़ी संख्या में तिपहिया साइकिल पर सवार दिव्यांगजन, मूक-बधिर एवं दृष्टि-विकलागों और संस्थान के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों ने भाग लिया।