कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव जी ने All India Federation for Social Justice की प्रथम नेशनल कांफ्रेंस को संबोधित किया जिसे देश की विभिन्न पार्टियों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों ने भी संबोधित किया। उनके संबोधन के भाग,सामाजिक न्याय के संघर्ष में हमें कई मंज़िलें हासिल हुई लेकिन अभी कई महत्वपूर्ण मुकाम बाकी हैं। इसी के मद्देनजर बिहार में हमारी सरकार ने जातियों की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों के लिए अपने संसाधन से जाति आधारित सर्वेक्षण प्रारम्भ किया है। मेरी अपील है कि कांग्रेस और अन्य विपक्ष शासित राज्य भी ऐसा करेंगे तो बेहतर समन्वय होगा तथा पूरे देश में संदेश जाएगा।आज भी विपक्ष शासित राज्यों में ओबीसी का 27% आरक्षण सही से लागू नहीं हो पाया है जो हम सभी के लिये सामूहिक चिंता का विषय है। झारखंड में हेमंत सोरेन जी और छतीसगढ़ में भूपेश बघेल ने 27% आरक्षण के लिए विधानसभा में क़ानून पारित किया लेकिन वहाँ भाजपा द्वारा भेजे गये राज्यपाल उनको अटका कर रखे हुए हैं। तमाम समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट होकर पिछले दरवाज़े से पिछड़ों के भलाई के लिए पारित क़ानूनों को अटकाने के विरुद्ध केंद्र के ख़िलाफ़ आंदोलन करना होगा ताकि यथाशीघ्र आरक्षण लागू हो।भाजपा शुरू से ही आरक्षण और पिछड़ा विरोधी रही है तथा उसका चाल-चरित्र, नीति और नीयत हमेशा सामाजिक न्याय के ख़िलाफ़ रहा है। हमने पिछड़ों की आबादी के अनुपात में यूनिवर्सिटीज़, सरकारी नौकरियों एवं केंद्रीय संस्थानों में हिस्सेदारी तथा निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की सामूहिक माँग रखी।सामाजिक न्याय के सरोकारों की धुरी की राजनीति ही धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुँहतोड़ जवाब दे सकती है।