संजय कुमार पटना,
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और पहल सामने आई है जो अगर कामयाब हो गई तो फिर नीतीश कुमार की वाहवाही होने से कोई नहीं रोक पाएगा। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। नीतीश कुमार की मानें तो इन साइट्स से प्रभावित बच्चों और कम उम्र के युवाओं के जरिए महिलाओं के प्रति अपराधों में भारी इजाफा हो रहा है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नीतीश कुमार ने पीएम को यह लिखा है कि – पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के साथ घटित सामूहिक दुष्कर्म और बाद में जघन्य तरीके से हत्या की घटनाओं ने पूरे देश के जनमानस को प्रभावित किया है… इस तरह की घटनाएं लगभग सभी राज्यों में हो रही हैं…मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि इंटरनेट पर लोगों की असीमित पहुंच के कारण बड़ी संख्या में बच्चे और युवा अश्लील, हिंसक और अनुचित सामग्री देख रहे हैं… और इसके प्रभाव के कारण भी कुछ मामलों में ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जिसमें दुष्कर्म की घटनाओं का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिए जा रहे हैं। विशेष रूप से बच्चों और कम उम्र के कुछ युवाओं के मस्तिष्क को इस तरह की साइट्स गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।सीएम नीतीश कुमार ने आगे लिखा है कि – ‘कई मामलों में इस तरह की साइट्स देखकर युवा अपराध कर बैठते हैं… इसके अलावा ऐसी पोर्न साइट्स के ज्यादा उपयोग से लोगों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है… जिससे कई प्रकार की सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। वहीं महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है…’ नीतीश कुमार यहीं नहीं रूके… उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा कि, ‘हालांकि इस संबंध में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (यथा संशोधित 2008) कानून बनाए गए हैं लेकिन ये प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं… सुप्रीम कोर्ट के जरिए भी इस संबंध में सरकार को कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं. लेकिन मेरे विचार से अभिव्यक्ति एवं विचारों की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नहीं है।’बताते चलें कि सीएम नीतीश कुमार ने अपने पत्र के ज़रिए पीएम मोदी को यह बात बतानी चाही है कि ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे ऐसे अपराधों के निवारण हेतु प्रभावी कार्रवाई की जानी काफी जरूरी है। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी कड़े निर्देश देने की आवश्यकता है। साथ ही अभिभावकों, शैक्षिक संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से व्यापक जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी हैं।