प्रिया सिन्हा, संपादक
झारखंड को एक ओर जहां अपना नया मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रूप में मिला तो वहीं दूसरी ओर झारखंड में रह रहे सभी आदीवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई… दरअसल, नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है कि राज्य में दो साल पहले पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मामलों को वापस ले लिया जाएगा।
आपको बता दें कि इस खास फैसले को लेकर राज्य के मंत्रिमंडल सचिव ने कहा कि राज्य सरकार के फैसले के अनुसार छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में संशोधन का विरोध करने और पत्थलगड़ी करने के जुर्म में दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का काम शुरू होगा। इससे संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं। आइए बताते हैं कि आखीर क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन और इसकी परंपरा -आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा काफी पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।
वहीं, पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले ही की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी काफी लोकप्रिय है। मान्यता तो यह भी है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रागैतिहासिक मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की।
पत्थलगड़ी आंदोलन क्या है?
पत्थलगड़ी आंदोलन के पीछे जल, जंगल, जमीन और आदिवासियों की निजी जिंदगी में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप है। लेकिन जमीन की सुरक्षा के लिए आदिवासी आवाज उठाते हैं तो उन्हें दबाया जाता है और उनका दमन किया जाता है।
दरअसल, आदिवासियों को यह आशंका सता रही है कि सरकार अंग्रेजों के जमाने में बनी छोटा नागपुर काश्तकारी कानून में संशोधन कर उनकी जमीन छीनने की कोशिश में जुटी है, इसी कारण बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू के लोग भी कई मौके पर सरकार के रुख पर नाराजगी जता चुके हैं।