मधुबनी जिला के परीहारपुर पंचायत के खोईर गांव में 03 मई को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया गया, मारपीट और लूट कि इस घटना ने मानवता को शर्मसार किया. एक अच्छे जनप्रतिनिधि कि जरुरत है खोईर गांव में क्योंकि कुछ लोगों के दबंगता में सिमित हो गया है यह गांव. यहां गरीब और गांव से बाहर रहने वाले अगर गांव आकर रहना चाहे तो उन्हें काफी परेसानी का सामना करना परेगा
एक उदाहरण के माध्यम से समझे, दिनाँक 3 मई 2020 को khoir निवासी सुमन कुमार झा पिता लोकनाथ झा अपने निजी जमीन में तालाब खूनबा रहे थे, चुकी तालाब जल्दी खुनबा सकू इसलिए गांव के एक ट्रेक्टर चालक अरुण झा पिता महाबीर झा और राजेंद्र झा पिता महावीर झा को मौका दिया गया लेकिन उनकी तरफ से टाल-मटोल किया गया तो कुछ दिनों के बाद दूसरे गांव के JCB और ट्रेक्टर मालिक को यह काम दिया गया जिसका विरोध पहले दिन से ही अरुण झा, राजेन्द्र झा और उनके परिवार के लोग करते रहे लेकिन हमलोगों ने कभी कोशिस नहीं कि बात आगे बढ़े जबकि इनके द्वारा काम को रोकने के लिये पूरी कोशिस कि गयी और ट्रेक्टर चालक और मालिक को धमकी के साथ साथ सुमन कुमार झा और उनके परिवार को लगातर परतारीत किया गया काम को रोकने के लिये,
जब काम बंद करने का कोई ऑप्शन नहीं दिखा तो लास्ट में 03 मई को संध्या 5 बने, स्थान खोईर के धार में अरुण झा पिता महाबीर झा, राजेन्द्र झा पिता महाबीर झा, कार्तिक झा पिता पप्पू झा, गौरव झा पिता राजेंद्र झा, सौरव झा पिता राजेंद्र झा, राजा झा पिता देवकांत झा, देवकांत झा साथ ही उनके टोल से और अज्ञात लोगों ने अचानक बांस, लाठी और कुछ हथीयार के साथ निहत्थे सुमन कुमार झा के ऊपर हमला कर दिया, साथ ही ट्रेक्टर मालिक को देने के लिये 1.50.000 (एक लाख पचास हजार रुपये) जो लाये थे वो एक बैग में था जिसे भी लूट लिया गया. चुकी ज्यादा संख्या में आकर हमला किया गया इसलिये सुमन कुमार झा काफी चोटिल हुए है.
ये घटना नशर्मसार करती है साथ ही इनलोगों कि मानसिकता को दर्शाती है. कोई गरीब आदमी अपने निजी जमीन में काम करे और इस प्रकार का हमला होगा हो तो क्या गांव और मिथिला का विकास सम्भव है? कैसे लोग बाहर से आकर अपने गांव में विकास के काम को अंजाम देंगे अगर समाज या यहां के जनप्रतिनिधि साथ नहीं दें तो.
इस प्रकार के कई घटना इनलोगों ने किया है जिसकी प्राथमिकी राजनगर थाना में दर्ज है.
इस खबर के माध्यम से ये मैसेज देने की कोशिश की जा रही है कि इनलोगों के परिवार में अपने बेटे और बेटी का हाथ कैसे दें जहाँ संस्कार का इतना अभाव हो.
ऐसी कई घटना हमारे आपने आसपास होता है लेकिन उसे लोग दबा देते है जिससे ऐसे हमलावर दबंग का मनोबल बढ़ता है और गरीब आदमी को परेशानी उठानी परती है.
मनीष कुमार, संवाददाता