राकेश कुमार.मुख्य संवाददाता की विशेष रिपोर्ट =नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार आंतरिक विवादों में फंसती दिख रही है। पार्टी के अंदर ही विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। पार्टी के ही नेताओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। सबसे प्रखर हैं पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ । प्रचंड ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली हर मोर्चे पर विफल रहे हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रचंड कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफा नहीं देने पर प्रचंड ने पार्टी विभाजन तक की धमकी दे डाली है। उन्होंने कहा कि ओली के साथ पार्टी संबंधों पर उन्हें पछतावा हो रहा है और यह एकता उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल थी। प्रचंड को पार्टी के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों का भी समर्थन प्राप्त है। इधर माधव नेपाल और झलनाथ खनाल भी ओली के इस्तीफा के पक्ष में हैं। जबकि ओली नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के सचिवालय और स्थाई समिति दोनों में अल्पमत में हैं। सूत्रों की माने तो अब ओली अपना पद बचाने के लिए कैबिनेट फेरबदल की तैयारी कर रहे हैं।
चीन के विरोध में उठने लगी आवाज
उधर, नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के सांसदों ने प्रतिनिधि सभा में एक संकल्प प्रस्ताव दायर कर सरकार से चीन की कब्जा की गई नेपाली भूमि वापस करने और कब्जाई गई जमीन की स्थिति के बारे में संसद को बताने के लिए कहा है। नेपाली कांग्रेस के सांसद देवेंद्र राज कंडेल, सत्यनारायण शर्मा खनाल और संजय कुमार गौतम ने बुधवार को प्रतिनिधि सभा सचिवालय में संयुक्त रूप से प्रस्ताव रखा है।
विरिधियों मानना है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी खुद की अलोकप्रियता और अपनी पार्टी के अंदर की मुसीबतों से ‘ध्यान हटाने’ के लिए भारत के साथ सीमा मुद्दों पर अनुचित तनाव बढ़ा रहे हैं। पीएम ओली ने,खासकर महामारी के बीच, भारत जैसे पड़ोसी मित्र देश के खिलाफ ऐसा कड़ा रुख अख्तियार किया है, इस बात का संकेत है कि उनकी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी देश में प्रतिद्वंद्वी गुटों और विपक्षी दलों के कड़े विरोध का सामना कर रही है.’